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विनम्रता और मानवता के सच्चे प्रेरणा स्रोत थे रतन टाटा:  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  

ऋषिकेश(आरएनएस)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज भारत ने अपने अनमोल रत्न, श्री रतन टाटा को खो दिया है। आज भारत ने एक महान उद्योगपति, परोपकारी और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को खो दिया है जो विनम्रता व मानवता की प्रतिमूर्ति थे।
श्री रतन टाटा, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और एक प्रख्यात उद्योगपति, ने अपने जीवन में अनगिनत सफलताएँ और उपलब्धियाँ हासिल कीं। उनकी दूरदर्शिता, नवाचार और नेतृत्व ने टाटा समूह को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनकी उद्यमशीलता का दृष्टिकोण न केवल व्यापारिक दुनिया में, बल्कि समाज के हर क्षेत्र में परिवर्तन लाने वाला था।
श्री रतन टाटा ने उद्योग जगत में अविश्वसनीय और विलक्षण क्रांति लाई। उनकी दूरदर्शिता और नवाचार ने जगुआर जैसी लग्ज़री कारों से लेकर टाटा नैनो जैसी सस्ती कारों तक की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत की। यह उनकी नेतृत्व क्षमता और सामाजिक जिम्मेदारी का अद्वितीय उदाहरण है, जिन्होंने हर वर्ग के लोगों की जरूरतों को समझा और उन्हें पूरा किया।
श्री रतन टाटा ने हमेशा समाज की बेहतरी के लिए काम किया। उनके द्वारा स्थापित कई परोपकारी संस्थाएँ शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और तकनीक, पर्यावरण संरक्षण और कई अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उनकी मानवता, विनम्रता और सेवा की भावना ने उन्हें एक सच्चा मानवतावादी बनाया।
परमार्थ निकेतन में आज की गंगा आरती श्री रतन टाटा की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। यह गंगा आरती उनकी स्मृति को समर्पित करते हुए, उनकी महान उपलब्धियों और समाज के प्रति उनके योगदान का सम्मान करती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा स्रोत है। उनकी उदारता, सेवा और समाज के प्रति प्रतिबद्धता ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया है। उन्होंने न केवल उद्योग जगत में अपनी पहचान बनाई बल्कि समाज के हर वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया। उनकी अनुपस्थिति हमें हमेशा खलेगी, लेकिन उनकी यादें और उनका योगदान हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
श्री रतन टाटा ने टाटा समूह का नेतृत्व किया और इसे एक वैश्विक ब्रांड बनाया। टाटा परिवार के परंपरागत परोपकारी कार्यों को जारी रखते हुए, श्री रतन टाटा ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अनगिनत पहल कीं। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों की मदद की और उनके जीवन स्तर को उठाने के लिये अद्भुत कार्य किया।
प्रातःकाल का यज्ञ और गंगा जी की आरती श्री रतन टाटा की आत्मा की शांति के लिए समर्पित की।

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