नवरात्रि का सातवां दिन माता कालरात्रि की पूजा के लिए समर्पित होता है। माता कालरात्रि को काली मां के रूप में भी जाना जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत विकराल होता है क्योंकि वे दुष्टों और पापियों के संहार के लिए धरती पर अवतरित होती हैं। उनकी उपासना से भय का नाश होता है और व्यक्ति साहसी बनता है। इस दिन माता कालरात्रि को रात की रानी के फूल अर्पित किए जाते हैं और गुड़ या गुड़ से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। आइए, विस्तार से जानते हैं माता कालरात्रि कौन हैं और उनकी पूजा का महत्व।
माता कालरात्रि कौन हैं?
माता कालरात्रि का नाम ‘अंधेरी रात’ को दर्शाता है। उनका स्वरूप अति भयानक होता है। काले रंग के शरीर, बिखरे बालों और चमकदार मुंडमाल के साथ वे अंधकार की देवी मानी जाती हैं। माता कालरात्रि दुष्टों का विनाश करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। उनका आगमन बुराई के अंत और प्रकाश के प्रसार का संकेत देता है। देवी कालरात्रि को देवी काली का स्वरूप भी माना जाता है, जो पापियों का संहार कर उनके रक्त का पान करती हैं।

माता कालरात्रि की पूजा का महत्व
माता कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के भय और नकारात्मकता का नाश होता है। इस पूजा से व्यक्ति पराक्रमी और साहसी बनता है तथा समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्राप्त करता है। महासप्तमी के दिन माता कालरात्रि की विशेष पूजा करने से भक्त के सभी शत्रु नष्ट होते हैं और उसे विजय की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा विधि
- प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता कालरात्रि की पूजा के लिए चौकी को लाल या काले वस्त्र से सजाएं।
- माता की प्रतिमा या चित्र पर काले रंग की चुन्नी चढ़ाएं।
- रोली, अक्षत, दीप और धूप अर्पित करें।
- माता कालरात्रि को रात की रानी का फूल अर्पित करें।
- माता को गुड़ या गुड़ से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं।
- दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और माता कालरात्रि के मंत्रों का पाठ करें।
माता कालरात्रि को अर्पित भोग
माता कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा मालपुए का भी भोग लगाया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि माता के क्रोध को शांत करने के लिए उन्हें मीठे का भोग अर्पित करना शुभ होता है।

माता कालरात्रि की उपासना से साधक को आध्यात्मिक शक्ति, निर्भयता और आत्मबल की प्राप्ति होती है। इस महासप्तमी पर माता कालरात्रि की आराधना कर जीवन में सकारात्मकता और उन्नति लाने का प्रयास करें।
मां कालरात्रि: सप्तम नवरात्रि की देवी
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की उपासना की जाती है। यह स्वरूप अति उग्र एवं शक्तिशाली माना जाता है, जो साधकों को भयमुक्त करता है और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है। मां कालरात्रि का वर्णन देवीभागवत और दुर्गा सप्तशती में मिलता है, जहां उन्हें अंधकार को नष्ट करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।
सातवें दिन का शुभ रंग
मां कालरात्रि को लाल रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन यदि भक्त लाल वस्त्र धारण करके उनकी पूजा करें तो यह विशेष फलदायी माना जाता है। लाल रंग शक्ति, साहस और ऊर्जा का प्रतीक है, जो मां कालरात्रि की कृपा पाने में सहायक होता है।
मां कालरात्रि मंत्र और स्तुति
मां कालरात्रि की साधना के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करने से साधक को अद्भुत आध्यात्मिक एवं मानसिक बल प्राप्त होता है। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
- क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:
- या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
इन मंत्रों का नियमित जाप करने से भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख का आगमन होता है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को निर्भयता का वरदान देती हैं और सभी विघ्नों का नाश करती हैं।

मां कालरात्रि की साधना से साधक के जीवन में आध्यात्मिक जागृति आती है। नवरात्रि के सातवें दिन उनकी पूजा विधिपूर्वक करने से हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में विजय प्राप्ति होती है। मां की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तों को श्रद्धा एवं विश्वास के साथ उनकी उपासना करनी चाहिए।