कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके बाद शोभा पाराशर ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। मंच पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार आ. असीम शुक्ल, डॉ. रामविनय सिंह और सत्यप्रकाश “सत्य” की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
कविता और गीतों से महका सभागार
कार्यक्रम में नौ कवयित्रियों ने अपने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी। महेश्वरी कनेरी का गीत “देखो सखि बसंत है आया”, कविता बिष्ट “नेह” का “तुम प्रेम के सागर पिया…”, और झरना माथुर का “कोपलों पे छाई तरुणाई…” विशेष रूप से सराहा गया।
लोक और संस्कृति का संगम
अनीता सोनी ने गढ़वाली गीत प्रस्तुत कर माहौल को लोक-संगीत से सजाया, जबकि संध्या जोशी ने अपनी नृत्य प्रस्तुति “कुहू कुहू बोले कोयलिया…” से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भावना करोड़िया के नृत्य ने भी दर्शकों को मोहित किया।
गीतकारों और कवियों का जादू
सुप्रसिद्ध गीतकार सत्यप्रकाश “सत्य” ने “तुम बिन प्रियतम…” और “केसरीया चूनर ओढ़ी है…” जैसे गीतों से वासंती प्रेम की अनुभूति कराई। डॉ. रामविनय सिंह के छंद और दोहे, तथा आ. असीम शुक्ल के श्रृंगार गीतों ने श्रोताओं को यौवन के दिनों की याद दिलाई।
सम्मान और समापन
कार्यक्रम के अंत में डॉली डबराल ने सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया और शुद्ध, स्वादिष्ट भोजन का आयोजन किया। अध्यक्षीय उद्बोधन बीना बेंजवाल ने दिया। नव निर्वाचित पार्षद अमिता सिंह और नंदिनी शर्मा का विशेष रूप से सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में श्री देवेंद्र कंडवाल, डॉ. रमाकांत, सुप्रसिद्ध शायरा सीमा शफक और राजीव शर्मा की उपस्थिति ने आयोजन को चार चांद लगा दिए। 40 से अधिक उपस्थित साहित्यप्रेमियों ने इस सांस्कृतिक संध्या का भरपूर आनंद लिया।