प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपना ख्याल रखना पड़ता है. इसकी शुरुआती महीने से लेकर डिलीवरी होने तक का समय काफी नाजुक होता है. इस दौरान बच्चे के ग्रोथ के लिए खानपान और दवाईयों का सही तरह ध्यान रखना पड़ता है. रेगुलर चेकअप से बच्चे की कंडीशन की सही जानकारी मिलती रहती है.
कभी-कभी कुछ ऐसी चीजें भी हो जाती हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है. प्रेगनेंसी में कुछ लक्षण महसूस होने पर किसी चीज का इंतजार किए बिना ही अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए. वरना मां और बच्चे दोनों को नुकसान पहुंच सकता है.
ब्लीडिंग होना
प्रेगनेंसी कंफर्म होने के बाद अगर जरा सी भी ब्लीडिंग या स्पॉटिंग दिखाई पड़े तो परेशानी वाली बात हो सकती है. हालांकि बहुत सी महिलाओं को प्रेगनेंसी में थोड़ी स्पॉटिंग होती है और यह उनकी बॉडी के हिसाब से नॉर्मल बात हो सकती है लेकिन हर किसी के लिए यह सही नहीं है. कई बार प्रेगनेंसी में फिजिकल रिलेशन बनाने या डॉक्टर के पास वजाइनल एग्जैमिनेशन करवाने के बाद थोड़ी ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन अगर इसकी दिक्कत एक दिन से ज्यादा रहे या ज्यादा ब्लीडिंग हो और पेट में दर्द भी तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
पेट में दर्द होना
प्रेगनेंसी के दौरान पेट के एक या दोनों ओर या फिर निचले हिस्से में तेज दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. हो सकता है लिगामेंट में खिंचाव की वजह से ऐसा हो गया है. कई बार अपच, एसिडिटी, पेट में इंफेक्शन या दूषित खाने की वजह से भी पेट के बीच या ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है. बावजूद इसके इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और समय से पहले डॉक्टर से मिल लेना चाहिए, क्योंकि कई बार यह गंभीर भी हो सकता है.
हाथ-चेहरे पर सूजन
प्रेगनेंसी में हाथ-पैर के अलावा शरीर के कई हिस्सों में सूजन आना नॉर्मल होता है लेकिन अगर हाथ के साथ चेहरे पर सूजन नजर आए तो सावधान हो जाना चाहिए. चेहरे पर सूजन के साथ सिरदर्द, पेट में गैस, चक्कर आए या देखने में दिक्कत हो तो ये प्रीक्लैम्प्सिया बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. इससे प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जो गंभीर समस्या है.
ब्लड शुगर ज्यादा या कम होना
प्रेगनेंसी में कई महिलाओं को डायबिटीज की समस्या होती है, इसलिए जरूरी है कि ब्लड शुगर पर नजर रखें. अचानक से ब्लड शुगर ज्यादा या कम होने का असर बच्चे पर पड़ता है, इसलिए डॉक्टर को इसकी जानकारी देते रहें.
वाटर ब्रेक होना
प्रेगनेंसी के दौरान बच्चा एमनीओटिक फ्लूइड में लिपटा रहता है. यह बच्चे की सेहत के लिए बेहद जरूरी भी होता है. वाटर ब्रेक बहुत जल्दी होने पर मां और बच्चे दोनों के खतरा बढ़ता है. इससे मां को इंफेक्शन हो सकता है, जिससे बच्चे के ग्रोथ में रुकावट और समय से पहले जन्म का खतरा बढ़ जाता है. वाटर ब्रेक होने पर बिना समय गंवाए डॉक्टर से मिलना चाहिए.
बच्चे का मूवमेंट न होना
अगर प्रेगनेंसी 28 हफ्ते से कम की है, तो हो सकता है कि बच्चे का मूवमेंट अभी ज्यादा ना हो लेकिन इसके बाद बच्चा अंदर इतना एक्टिव होता है कि उसकी हलचल महसूस की जा सके. अपने बच्चे के मूवमेंट पर बारीकी से गौर करना चाहिए. अगर लगे कि उसका मूवमेंट सामान्य से कम हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
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