देहरादून,20 जनवरी2025(आरएनएस) शिमला बाईपास रोड, सबा वाला क्षेत्र में सूरज उगने से पहले ट्रैक्टर ट्राली से ओवरलोड लकड़ी तस्करी का मामला सामने आया। खास बात यह है कि ये ट्रैक्टर बिना नंबर प्लेट के थे, और सूत्रों का कहना है कि यह काम अन्य राज्यों के तस्करों और वन विभाग के कुछ भ्रष्ट अफसरों की मिलीभगत से अंजाम दिया जा रहा है।
वन निगम की भूमिका
उत्तराखंड वन निगम, जो राज्य को हर साल करोड़ों की रॉयल्टी देता है, का कहना है कि वह केवल सूखे या टूटे पेड़ों का कटान करता है। लेकिन जंगलों से बाजार में चोरी की लकड़ी की बढ़ती मात्रा निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करती है।
अगर इसी तरह हरे पेड़ों की कटाई और लकड़ी की तस्करी जारी रही, तो न केवल राज्य के राजस्व को भारी नुकसान होगा, बल्कि उत्तराखंड के हरे-भरे जंगल भी इतिहास बनकर रह जाएंगे।

सूत्रों के हवाले से: दूसरे राज्यों के ट्रैक्टर उत्तराखंड में अवैध तस्करी में शामिल
उत्तराखंड में जंगलों की अवैध कटाई और लकड़ी तस्करी में दूसरे राज्यों से आए ट्रैक्टरों का इस्तेमाल हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, ये ट्रैक्टर बिना आरटीओ से पास कराए, गैर-कानूनी तरीके से इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
लैंड उपयोग के नाम पर हो रहा है गोरखधंधा
इन ट्रैक्टरों को मूल रूप से खेती और लैंड कार्यों के लिए पंजीकृत किया गया है। नियम के अनुसार, अगर इनका उपयोग वाणिज्यिक या अन्य कार्यों के लिए किया जाता है, तो इनके कागजात आरटीओ में कमर्शियल श्रेणी में पंजीकृत करवाना अनिवार्य है। लेकिन तस्करों द्वारा इन ट्रैक्टरों को अवैध तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे न केवल राज्य की आय पर चोट हो रही है, बल्कि जंगलों का सफाया भी तेज़ हो रहा है।
क्या कहता है कानून?
1.कृषि ट्रैक्टरों पर रोड टैक्स माफ होता है।
2.वाणिज्यिक उपयोग के लिए टैक्स और पंजीकरण जरूरी है।
3.बिना कमर्शियल लाइसेंस और पंजीकरण के ऐसे वाहनों का उपयोग पूरी तरह अवैध है।
वन विभाग और आरटीओ की मिलीभगत?
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि दूसरे राज्यों के ट्रैक्टर, बिना जांच और पंजीकरण के उत्तराखंड में कैसे प्रवेश कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और आरटीओ की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

सरकार और प्रशासन की चुप्पी
मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों और जांच आदेशों के बावजूद, यह गोरखधंधा बिना किसी रुकावट के जारी है। वन विभाग और आरटीओ की निष्क्रियता इस गंभीर मुद्दे को और उलझा रही है।
आर्थिक नुकसान और पर्यावरणीय खतरा
राज्य के राजस्व को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।बेशकीमती लकड़ी की तस्करी से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
सरकार और संबंधित विभागों को इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी। वरना यह गठजोड़ न केवल जंगलों को खत्म करेगा, बल्कि राज्य की छवि पर भी गहरा असर डालेगा।