शादी के बाद पैरेंट्स बनना हर कपल का सपना होता है. हर कोई चाहता है कि उनका बच्चा हेल्दी पैदा हो और उनकी बेहतर परवरिश करें. इसी वजह से शादी के बाद ज्यादातर कपल्स प्रेगनेंसी प्लान करने लगते हैं. यह जरूरी भी है, क्योंकि प्रेगनेंसी प्लान न होने से हमारे देश में बहुत से बच्चे जन्मजात बीमारियां लेकर आ रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर का कहना है कि अगर गर्भधारण यानी प्रेगनेंसी से पहले सही तरह से पूरी प्लानिंग की जाए तो मां और बच्चे दोनों के लिए बेस्ट होगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशों में जितनी भी डिलीवरी होती है, उसकी प्रॉपर काउंसलिंग की जाती है. जिसका रिजल्ट भी बेहत आता है. मां और बच्चा दोनों ही हेल्दी होते हैं. लेकिन अगर बात भारत की करें तो यहां जब प्रेगनेंसी का पता चलता है तो उसके बाद विशेषज्ञ को दिखाया जाता है. कई बार तो इसमें काफी लेट भी कर दिया जाता है, जिससे मां और बच्चे दोनों के लिए कई दिक्कतें होती हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर फ्यूचर के किसी काम को अगर प्लानिंग के साथ किया जाए तो वह अच्छा होता है. इसलिए शादी के बाद ही अगर महिला विशेषज्ञ की काउंसलिंग लेकर बच्चे की प्लानिंग करें तो मां और बच्चे की सेहत के लिए अच्छा रहता है.
प्रेगनेंसी प्लानिंग क्यों जरूरी
डॉक्टर का कहना है कि जिस तरह से आजकल खानपान और लाइफस्टाइल बदल रही है उससे कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही हैं. इनमें ब्लड प्रेशर, थाइरॉइड या ब्लड शुगर जैसी समस्याएं शामिल हैं, जो किसी भी प्रेगनेंट महिला के लिए गंभीर हो सकते हैं. इसके अलावा महिलाओं में कई अन्य बीमारियां भी देखने को मिलती हैं. अगर इस तरह की किसी समस्या में डिलीवरी होती है तो बच्चे को बीमारियां लगनी स्वाभाविक हो सकती है.
क्या करना चाहिए
डॉक्टर के मुताबिक, अगर महिला को प्रेगनेंसी से पहले किसी तरह की समस्या है तो उन्हें प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की किसी एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए. उनकी मदद से उस बीमारी को कंट्रोल कर सकतीहैं. एक्सपर्ट्स की देखरेख में संतुलित दवाईयां और इलाज कई समस्याओं को कम किया जा सकता है. उनका कहना है कि जब गर्भवती होने के बाद किसी महिला को इसका पता चलता है, तब तक बच्चे के दिमाग से जुड़े काफी विकास हो चुके होते हैं. किसी महिला के लिए प्रेगनेंसी के तीन से चार हफ्ते काफी अहम होते हैं. ऐसे में विशेष सावधानी रखनी चाहिए, वरना समस्याएं बढ़ सकती हैं. इसलिए एक्सपर्ट्स की देखरेख में सही काउंसलिंग जरूरी हो जाती है.
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