अक्सर हमने बड़े-बुजुर्गों को अपने अनुभवों की पोटली खोलकर बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाते देखा और सुना है। वे अपने ज्ञान और अनुभवों से युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हैं, उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने और सही राह चुनने की प्रेरणा देते हैं। दुर्भाग्य से, कुछ ऐसे भी होते हैं जिनके सिर पर बड़ों का साया नहीं होता और उन्हें जीवन के कई पड़ाव अकेले ही पार करने पड़ते हैं।
हालांकि, यह मानना होगा कि हमारे बड़े-बुजुर्ग भले ही शारीरिक रूप से हमारे साथ न हों, लेकिन उनकी सीख और बातें आज भी जीवित हैं। हिंदू और ज्योतिष शास्त्रों के प्राचीन ग्रंथों में न केवल देवी-देवताओं का वर्णन मिलता है, बल्कि जीवन को सार्थक बनाने वाली कई महत्वपूर्ण बातें भी निहित हैं, जो आज के बच्चों और बड़ों दोनों के लिए जानना अत्यंत आवश्यक है। आइए जानते हैं, वे खास बातें क्या हैं:
जीवन के दस सर्वोत्तम सत्य:
- सर्वोत्तम दिन: आज। (वर्तमान में जीना सीखें)
- सबसे उपयुक्त समय: अभी। (किसी भी अच्छे काम को टालें नहीं)
- सबसे बड़ी आवश्यकता: सामान्य ज्ञान। (दुनिया को समझें और सीखें)
- सबसे विश्वसनीय मित्र: अपना हाथ। (आत्मनिर्भर बनें)
- सबसे बड़ा पाप: भय। (डर को दूर करें और साहस दिखाएं)
- सबसे बड़ी भूल: समय का अपव्यय। (हर पल का सदुपयोग करें)
- सबसे बड़ी बाधा: अधिक बोलना। (सोच-समझकर बोलें)
- सबसे बुरी भावना: ईर्ष्या। (दूसरों की सफलता से जलना छोड़ें)
- सबसे बड़ा दरिद्र: उत्साहहीन। (जीवन में जोश और उमंग बनाए रखें)
- सबसे बड़ा भाग्यशाली: कार्यरत। (कर्मठ रहें और मेहनत करें)
जिन्हें बचाकर रखने का करें प्रयास:
यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी अनमोल धरोहरों को सहेज कर रखें और आने वाली पीढ़ियों को सौंपें। इनमें शामिल हैं: - देश का सम्मान और स्वाभिमान
- हमारी संस्कृति और संस्कार
- माता-पिता एवं गुरु का सम्मान
- पर्यावरण, पेड़-पौधे और वन
- सागर, पहाड़ और जल
- ऑक्सीजन, खनिज और धातु
- जमीन से निकलने वाले तेल और धन
- नदियां
- पशु-पक्षियों की लुप्त होती प्रजातियां
- धर्म ग्रंथ और धर्म शिक्षाएं
- लोक गीत, लोक नृत्य एवं लोक गाथाएं
- साहित्य
- अच्छे विचार और अच्छी यादें
- आप पर किए गए उपकार
- माता-पिता तथा गुरु से मिली शिक्षाएं
- मर्यादा (शिष्टाचार और सम्मान)
जिनसे बचने का हरसंभव प्रयास करें:
जीवन को सुखमय और शांतिपूर्ण बनाने के लिए हमें नकारात्मक चीजों से दूर रहना चाहिए। इनसे बचने का प्रयास करें: - झगड़ा और कलह
- झूठ
- व्यर्थ की बहस
- चिंता
- हिंसा
- गंदगी और अस्वच्छता
- प्रदूषण (वायु, जल, ध्वनि आदि)
- ईर्ष्या
- क्रोध
- लोभ और लालच
- मोह (अत्यधिक आसक्ति)
- धोखा और छल
- वहम और अंधविश्वास
- आलस्य
- फास्ट फूड, फ्राइड फूड और फ्रोजन फूड
- अप्राकृतिक खाद्य एवं पेय पदार्थ
- भड़कीला पहनावा (अनावश्यक दिखावा)
- खट्टा-मीठा एवं चटपटा (अत्यधिक सेवन से बचें)
- अभद्र भाषा और गाली-गलौज
- अपमान (दूसरों का अनादर करना)
- नशा (किसी भी प्रकार का व्यसन)
- निंदा (दूसरों की बुराई करना)
- कुसंगति (बुरे लोगों की संगति)
- उतावलापन
यह ज्ञान के मोती बच्चों और बड़ों दोनों के लिए समान रूप से मूल्यवान हैं। इन्हें अपनाकर हम एक बेहतर जीवन जी सकते हैं और समाज को भी सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। अपने अनुभवों और ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हम सभी का कर्तव्य है, ताकि वे भी जीवन के इस सफर को सफलतापूर्वक पार कर सकें।