17,11,2021,Hamari Choupal
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र केवल भारत के लिए एक प्रणाली ही नहीं है बल्कि यह हमारे स्वभाव और जीवन के हिस्से में निहित है। हमें देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है और आने वाले वर्षों में असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं तथा ये संकल्प सबके प्रयासों से पूरे होंगे। भारत के लोकतंत्र और संघीय व्यवस्था में जब हम ‘सबका प्रयास’ की बात करते हैं, तो सभी राज्यों की भूमिका इसके लिए एक बड़ा आधार है।
‘सबका प्रयास’ के महत्व को उल्लेखित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे पूर्वाेत्तर की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो या दशकों से अटकी विकास की सभी बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने की बात हो, देश में पिछले वर्षांे में ऐसे बहुत से कार्य हुए हैं जिनमें सभी के प्रयास शामिल हैं। उन्होंने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई को ‘सबका प्रयास’ का एक बेहतरीन उदाहरण बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी विधानसभाओं के सदनों की परम्पराएं और प्रणालियां स्वाभाविक रूप से भारतीय होनी चाहिए। उन्होंने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भारतीय भावना को मजबूत करने के लिए सरकारों से नीतियों और कानूनों पर विशेष बल देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि सदन में हमारा अपना आचरण भारतीय मूल्यों के अनुसार होना चाहिए।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा देश विविधताओं से भरा है। हजारों वर्षों के विकास में हमने यह महसूस किया है कि विविधता के बीच एकता की भव्य, दिव्य और अखंड धारा बहती है। एकता की यह अटूट धारा हमारी विविधता को संजोती है, उसकी रक्षा करती है।
प्रधानमंत्री ने प्रस्ताव रखा कि क्या वर्ष में तीन-चार दिन सदन में समाज के लिए कुछ विशेष करने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए आरक्षित किए जाएं और उनके सामाजिक जीवन के इस पहलू के बारे में देश को बताएं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ समाज के अन्य लोगों को भी इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में संसदीय प्रक्रिया का उचित समन्वय सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, इसका उद्देश्य और दायरा विधायिकाओं के लोकतंत्रीकरण और लोकतंत्र के बेहतर कामकाज के लिए जिम्मेदारी के विकास पर भी है। उन्होंने कहा कि सदन के काम-काज को प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग की आवश्यकता है।
ओम बिरला ने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने में एक लंबा सफर तय करेगा। उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानमंडल जनता की शिकायतों को दूर करने और कार्यपालकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए पहला मंच है। सदन में उठाई जाने वाली समस्याओं और स्थितियों का प्रभावी तरीके से निवारण किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा को अपनी उच्च परंपराओं और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सकारात्मक चर्चा के लिए जाना जाता है। राज्य विधानसभा के पहले अध्यक्ष जयवंत राम से लेकर वर्तमान अध्यक्ष विपिन परमार तक विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने इस प्रतिष्ठित सदन की अध्यक्षता की और सदन की कार्यवाही का सम्मानजनक तरीके से संचालन करते हुए मार्गदर्शन किया। उन्होंने राज्य के पहले मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार सहित अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों राम लाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल का राज्य के प्रति योगदान के लिए स्मरण किया।
जय राम ठाकुर ने प्रधानमंत्री से कांगड़ा जिले के धर्मशाला में राज्य के लिए राष्ट्र ई-अकादमी स्वीकृत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भारत का पहला राज्य है जिसने अपनी विधानसभा में कागजरहित काम शुरू किया जिसे अब ई-विधान के नाम से जाना जाता है। यह सदन देश और राज्य के संवैधानिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का गवाह रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी ने इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित किया था। हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राज्य के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित कर इसके गौरव को बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 1948 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक विकास यात्रा में नए आयाम हासिल किए हैं। प्रदेश के ईमानदार और मेहनती लोगों के प्रयासों से आज विकास के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि राज्य में वर्ष 1948 में प्रति व्यक्ति आय 240 रुपये थी जो 2020-21 में बढ़कर 1.95 लाख रुपये से अधिक हो गई है। वर्ष 1948 में राज्य में सड़कों की लंबाई 288 किलोमीटर थी, जबकि आज 37,808 किलोमीटर सड़कें राज्य के कोने-कोने को जोड़ रही हैं।
राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश ने कहा कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन न केवल हमारे लोकतंत्र के 100 गौरवशाली वर्षों का जश्न मनाने का कार्यक्रम है बल्कि अगले 100 वर्षों के लक्ष्यों और उद्देश्यों पर विचार करने का भी अवसर है। उन्होंने सदन में दिए गए आश्वासनों के क्रियान्वयन में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की।
प्रदेश में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों का पहला सम्मेलन यहां 1921 में हुआ था और हम सभी भाग्यशाली हैं कि हम इस आयोजन को शताब्दी वर्ष के रूप में मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा को सूचना देने में संकोच नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार यह महसूस किया गया है कि सदन में सूचना के अधिकार के माध्यम से सूचना अधिक शीघ्रता से प्राप्त की जा सकती है।
प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने वर्चुअल रूप से समारोह में शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और इस अवसर पर मौजूद अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस सदन ने अपने गौरवशाली अतीत के दौरान 1300 से अधिक कानून पारित किए हैं।
प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
देश की विभिन्न विधानसभाओं के अध्यक्ष, लोकसभा के महासचिव, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष, मंत्री, सांसद और विधायक समेत अन्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।