ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में गंगा के प्रति जागरूकता हेतु तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। वक्ताओं ने प्रतिभागियों से गंगा की महत्ता को दूर दूर तक पहुंचाने व विभिन्न जगहों पर गंगा आरती से जुड़ने का आह्वान किया। शुक्रवार को कार्यशाला का शुभारम्भ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, नमामि गंगे के सलाहकार जगमोहन गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत की नदियों को उनका स्वभाविक अविरल और निर्मल प्रवाह सुलभ हो, यह नितांत आवश्यक है। इस पर चिंतन, मंथन और त्वरित एक्शन की जरूरत है। धरती के सौन्दर्य की कल्पना नदियों के बिना नहीं की जा सकती। इसलिये जन जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन अत्यंत आवश्यक है। जल की हर बूंद में जीवन है, इसलिये उसका उपयोग भी उसी प्रकार करना होगा। हमारी अर्पण, तर्पण और समर्पण की संस्कृति है। जल हमारे जीवन का आधार, आस्था और विकास की प्रमुख धारा है। सलाहकार नमामि गंगे जगमोहन गुप्ता ने कहा कि गंगा सबको साथ लेकर चलती है, वैसे ही हमें सभी को साथ लेकर चलना है। गंगा केवल पांच राज्यों से ही होकर नहीं गुजरती, बल्कि गंगा बेसिन के माध्यम से 11 राज्यों, पंच प्रयाग व गंगा बेसिन आदि रूपों में न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया इससे जुड़ी हुई है। हम गंगा से आस्था से जुड़ें और नदियों को बचाने का संकल्प लें, क्योंकि नदियों को बचाना हम सभी का दायित्व है। इस दौरान विभिन्न राज्यों के साधकों ने कार्यशाला में शिरकत की।
ऋषिकेश : गंगा की निर्मलता को चिंतन, मंथन और त्वरित एक्शन जरूरी
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