देहरादून,07मार्च 2025(आरएनएस ) उत्तराखंड में जीएसटी चोरी के खिलाफ राज्य कर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। विभाग ने सड़क निर्माण और वर्क कॉन्ट्रैक्टर का काम करने वाली 5 बड़ी फर्मों और उन्हें फर्जी बिल सप्लाई करने वाली 4 अस्तित्वहीन फर्मों पर एक साथ छापेमारी की।
राज्य कर विभाग की सीआईयू टीम पिछले दो महीनों से इन फर्मों की खरीद पर नजर रख रही थी। जांच में पाया गया कि इन फर्मों ने बिना किसी वास्तविक खरीद के ही आईटीसी का लाभ लेने के लिए फर्जी फर्मों की चेन बनाई थी। इस चेन के माध्यम से आईटीसी का लाभ लेकर अपनी माल और सेवाकर देयता का समायोजन किया जा रहा था।
इन फर्मों के सप्लायर फर्मों की बैकवर्ड चेन की जांच करने पर पता चला कि ये सप्लायर फर्में या तो अस्तित्वहीन हैं या संबंधित न्यायनिर्णयन अधिकारी द्वारा इनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। इनमें से कुछ फर्में ऐसे माल की ट्रेडिंग दिखा रही थीं, जिसके लिए वे पंजीकृत नहीं थीं।
जांच में यह भी पता चला कि कुछ मामलों में स्टेट परमिट की गाड़ियों से अंतरराज्यीय परिवहन दिखाया जा रहा था। कई मामलों में माल की डिलीवरी पंजाब से हरियाणा दिखाई गई। ई-वे बिल पोर्टल पर आरएफआईडी जांच करने पर पाया गया कि एक ही दिन में उन वाहनों पर कई ई-वे बिल बनाए गए थे और ये वाहन 1000 किलोमीटर की दूरी मात्र 15-17 घंटों में पूरी कर रहे थे।
कर चोरी के पुख्ता सबूत मिलने पर आयुक्त कर के निर्देशानुसार इन फर्मों के खिलाफ एक साथ छापे की कार्रवाई की गई। कार्रवाई में कुल 13 टीमें गठित करते हुए 34 अधिकारियों को शामिल किया गया था। आयुक्त कर ने टैक्स चोरी के मामले में कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
पहली नजर में इन फर्मों द्वारा कुल 6.06 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है। छापेमारी की कार्रवाई देर रात तक चली और छापे के दौरान फर्मों के व्यापार स्थल से टीमों ने दस्तावेज जब्त किए, जिनका विश्लेषण जारी है। इन फर्मों ने जांच के दौरान मौके पर ही 3.67 करोड़ रुपये जीएसटी जमा करा दिया और 2.41 करोड़ रुपये आईटीसी रिवर्सल कराया।
जांच टीम में उपायुक्त विनय पांडे, अर्जुन राणा, सुरेश कुमार, नेहा मिश्रा, सहायक आयुक्त टीका राम, नितिका, मनमोहन असवाल, योगेश रावत, मानवेंद्र, कृष्ण कुमार, रजनीकांत अविनाश, एसटीओ असद, अलीशा, ईशा, गजेंद्र भंडारी, दुर्गेश पुरोहित, शैलेंद्र चमोली, शिखा, हेमा पुंडीर शामिल थे।