मंडी (आरएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन उत्तरशाल घाटी के प्राचीन देव आदि ब्रह्मा ने बुधवार को छाेटी काशी की परिक्रमा कर सुरक्षा कवच बांधा। देवता ने इस दौरान मंडी शहर की सुरक्षा का वायदा करते हुए शहर वासियों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान किया। इसके अलावा बीमारियों व आसुरी शक्तियों से निजात दिलवाने का भी वायदा कर गए।
सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन
यह पौराणिक परंपरा सदियों से महाशिवरात्रि पर निभाई जाती आ रही है। देवताओं के देवलु एवं पुजारियों ने सिद्ध काली मंदिर से यात्रा आरंभ कर ऐतिहासिक सेरी मंच पर परिक्रमा संपन्न की। इस दौरान देव गूर व पुजारियों ने परंपरागत रूप से जौ के आटे को गुलाल की भांति उड़ाकर सुरक्षा कवच बांधा। मान्यता है कि यह आटे की सुरक्षा दीवार देव आदि ब्रह्मा द्वारा पूरे नगर को बुरी शक्तियों से बचाने हेतु बनाई जाती है। बता दें कि महाशिवरात्रि के दौरान जनपद के कई वरिष्ठ देवी-देवता रियासतकाल से ही अपनी भागीदारी निभाते आए हैं। इनमें उत्तरशाल के देव आदि ब्रह्मा की भूमिका अहम रहती है।
हजारों श्रद्धालु बने साक्षी
देव परिक्रमा के दौरान हजारों श्रद्धालु नगर की सड़कों व गलियों में उमड़ पड़े। भक्तों ने आटे की भेंट चढ़ाकर अपनी मन्नतें पूरी होने की परंपरा निभाई। देव गूर रूप चंद ने बताया कि यह परिक्रमा हर वर्ष श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक बनती है।
बीमारी से बचाव की ऐतिहासिक मान्यता
उत्तरशाल घाटी स्थित कटौला के टिहरी गांव में देव आदि ब्रह्मा का मंदिर है। मान्यता है कि प्राचीन समय में मंडी में फैली भयंकर बीमारी को रोकने के लिए देवता ने बकरे के साथ नगर परिक्रमा कर रक्षा कवच बनाया था, जिससे मंडी वासियों को रोग से मुक्ति मिली। तब से लेकर आज तक यह परिक्रमा महाशिवरात्रि के अवसर पर संपन्न होती है, ताकि नगर की समृद्धि और सुरक्षा बनी रहे।
अंतर्राष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन ‘देव आदि ब्रह्मा’ ने मंडी शहर की परिक्रमा कर बांधा ‘सुरक्षा कवच’
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