Hamarichoupal,26,02,2025
इस दिन शिवलिंग को चंदन, दही, घी, शक्कर, शहद, दूध, गन्ने का रस, इत्र इत्यादि किसी भी चीज से स्नान करा सकते हैं।
महाशिवरात्रि पूजन सामग्री
धूप, दीप, अक्षत, सफेद, घी, बेल, भांग, बेर, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, गंगा जल, कपूर, मलयागिरी, चंदन, पंच मिष्ठान, शिव व मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री,पंच मेवा, शक्कर, शहद, आम्र मंजरी, जौ की बालियां, वस्त्राभूषण, चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, दही, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, तुलसी दल, मौली जनेऊ, पंच रस, इत्र, गंध रोली, कुशासन आदि।
महाशिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत-संकल्प लें।
इसके बाद घर के मंदिर में विधि विधान शिव-पार्वती की पूजा करें।
शिव जी के मंत्र का 108 बार जाप करें।
इसके बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, चंदन इत्यादि चीजें चढ़ाएं।
इस दिन रात्रि की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
इसलिए रात में पूजा करने से पहले फिर से स्नान करें।
इसके बाद आप अपनी सुविधानुसार रात्रि के किसी भी प्रहर में या फिर चारों प्रहर में शिव जी की पूजा करें।
इस दौरान भोलेनाथ को दही, घी, दूध, शक्कर, शहद इत्यादि चीजों से स्नान कराएं। आप चाहें तो गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं।
पूजा के समय शिवरात्रि की व्रत कथा भी जरूर सुनें।
इसके अलावा शिव जी के मंत्रों और चालीसा का पाठ भी जरूर करें।
फिर परिवार सहित शिव भगवान की आरती करें।
भोग लगाएं और अपने व्रत का पारण करें।
महाशिवरात्रि के मंत्र (Maha Shivratri Mantra)
ॐ ऊर्ध्व भू फट् । ॐ नमः शिवाय । ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा ।
ॐ इं क्षं मं औं अं । ॐ प्रौं ह्रीं ठः ।
ॐ नमो नीलकण्ठाय । ॐ पार्वतीपतये नमः । ॐ पशुपतये नम:।
महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा
शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक कथा अनुसार माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है।
वहीं गरुड़ पुराण में इस दिन के महत्व को लेकर एक अन्य कथा बताई गई है, जिसके अनुसार इस दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गया किन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिल सका। जिसके बाद वह थककर भूख-प्यास से परेशान होकर एक तालाब के किनारे गया, जहां बिल्व वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था जिसका उस शिकारी को नहीं पता था। अपने शरीर को आराम देने के लिए जब उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, तो वो शिवलिंग पर भी गिर गए। अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उसने उनपर तालाब का जल छिड़का, तो उसकी कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया जब उसने तीर उठाने की कोशिश की तो वह शिव लिंग के सामने झुक गया। इस तरह शिवरात्रि के दिन अनजाने में ही सही लेकिन उसने व्रत भी रख लिया और शिव-पूजन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की।
महाशिवरात्रि के दिन व्रत के दौरान क्या खा सकते हैं?महाशिवरात्रि के व्रत में आप निम्नलिखित चीजें खा सकते हैं-
फल
मखाना
दूध और दूध से बनी चीजें
ड्राई फ्रूट्स
साबूदाना
सिंघाड़े का आटा
कुट्टू का आटा
टमाटर
मूंगफली
आलू
जीरा
घी
सेंधा नमक
महाशिवरात्रि को दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करने के लाभ
इस दिन महामृत्युंजय मंत्र के जप से रोगों से मुक्ति मिलती है तथा व्यक्ति दीर्घायु होता है।गंभीर रोग से पीड़ित लोग निश्चित संख्या मवन शिवमंदिर में महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान बैठाएं।
इस प्रकार महाशिवरात्रि को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य बनाएं।निर्मल मन से की गई पूजा पर भगवान शिव मनोवांछित फलों को प्रदान करते हैं।
शिव मंत्र
ॐ शूलपाणये नमः ॥
ॐ खट्वांगिने नमः ॥
ॐ विष्णुवल्लभाय नमः ॥
ॐ शिपिविष्टाय नमः ॥
ॐ अंबिकानाथाय नमः ॥
महाशिवरात्रि व्रत में क्या नहीं खाना चाहिये
इस व्रत में गेहूं, चावल, दाल या किसी भी तरह का साबुत अनाज और सफेद नमक नहीं खाया जा सकता है। लेकिन अगर आप ये व्रत एक समय भोजन करके रखना चाहते हैं। तब इस व्रत में एक समय अनाज खा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना है।
लिङ्गाष्टकम्
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥
कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥
कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥
देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥
अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥
सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
शिवजी की आरती-
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
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