देहरादून – 14 अप्रैल , 2025: भारत के एंटरटेनमेंट और क्रिएटिव इंडस्ट्री के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी लिमिटेड (IPRS) ने वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइज़ेशन की डिप्टी डायरेक्टर जनरल, सिल्वी फॉर्बिन के पहले आधिकारिक भारत दौरे के अवसर पर मुंबई में एक विशेष बंद-द्वार राउंडटेबल चर्चा का आयोजन किया। इस उच्च-स्तरीय चर्चा में भारत के संगीत और मनोरंजन उद्योग के प्रमुख रचनाकारों, गीतकारों, संगीतकारों, पटकथा लेखकों, म्यूज़िक लेबल्स, प्रकाशकों, कानूनी विशेषज्ञों, उद्योग संगठनों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया। इस चर्चा का उद्देश्य रचनात्मकता की रक्षा, नवाचार को प्रोत्साहित करने और एआई और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के युग में भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) की भूमिका पर विचार-विमर्श करना था।
इस सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध गीतकार, कवि, लेखक और IPRS के चेयरमैन श्री जावेद अख्तर ने की। यह सत्र वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर बौद्धिक संपदा अधिकारों की प्रासंगिकता पर चर्चा के लिए एक रणनीतिक मंच सिद्ध हुआ और इसने न केवल अधिकारों की सुरक्षा बल्कि एक टिकाऊ रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मजबूत IP सिस्टम की आवश्यकता को रेखांकित किया।
“संगीत उद्योग हमेशा तकनीकी प्रगति की अग्रिम पंक्ति में रहा है। इस उद्योग ने समय-समय पर आई तकनीकी चुनौतियों का दृढ़ता से सामना किया है और रचनात्मक समुदाय के बीच मजबूत एकता दिखाई है। भारत में AI क्रांति को लेकर जागरूकता और तैयारी देखकर मैं बेहद प्रभावित हूं। भारतीय रचनाकारों के साथ मिलकर हम इस नए युग के लिए आवश्यक नीतिगत, व्यावसायिक और तकनीकी समाधानों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। भारतीय संगीत की दीर्घायु की कामना करती हूं!” – सिल्वी फॉर्बिन, डिप्टी डायरेक्टर जनरल, वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइज़ेशन
“यह राउंडटेबल केवल राइट्स और रॉयल्टी तक सीमित नहीं था। यह उन रचनाकारों की पहचान और सम्मान के बारे में था, जो हर सांस्कृतिक कथा की रीढ़ होते हैं। WIPO के साथ इस संवाद के माध्यम से हमारा उद्देश्य निष्पक्ष भुगतान, कॉपीराइट प्रवर्तन और भविष्य के अनुरूप नीतियों पर चर्चा को और मजबूत करना था—विशेष रूप से AI और डिजिटल परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए। IPRS यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर रचनात्मक आवाज सुनी जाए, उसका सम्मान हो और उसे उसका हक मिले।” – श्री जावेद अख्तर, चेयरमैन, IPRS
“WIPO की डिप्टी डायरेक्टर जनरल, सुश्री सिल्वी फॉर्बिन के साथ यह राउंडटेबल आयोजित करने के लिए हम जावेद अख्तर साहब और IPRS का आभार प्रकट करते हैं। यह चर्चा बहुत ही मूल्यवान रही, जिसमें अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण सामने आया और विभिन्न हितधारकों द्वारा रचनाकारों के अधिकारों की सुरक्षा पर विचार साझा किया गया। SWA और SRAI बतौर लेखक व गीतकारों की संस्थाएं हमेशा क्रिएटर्स के अधिकारों के लिए प्रयासरत हैं और इस तरह की चर्चाएं बहुत ही उपयोगी हैं।” – ज़मां हबीब, जनरल सेक्रेटरी, स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन (SWA)
“IPRS द्वारा इस अनोखे राउंडटेबल का आयोजन करना बहुत ही प्रशंसनीय पहल रही। सुश्री सिल्वी फॉर्बिन और भारत के विभिन्न म्यूज़िक और एंटरटेनमेंट जगत से जुड़े दिग्गजों के साथ चर्चा करना एक अनमोल अनुभव रहा। भारत के तेजी से विकसित होते मनोरंजन परिदृश्य को समर्थन देने के लिए IPRS की यह पहल वाकई सराहनीय है।” – श्रीधर जे. स्वामिनाथन, सेक्रेटरी, SIMCA
प्रमुख प्रतिभागियों में शामिल थे: श्री राकेश निगम – CEO, IPRS; ब्लेज़ फर्नांडीस – प्रेसिडेंट व CEO, IMI; ज़मां हबीब – जनरल सेक्रेटरी, SWA; श्रीधर जे स्वामिनाथन – सेक्रेटरी, SIMCA; संजय टंडन – CEO, ISAMRA; अतुल चुरमानी – फाउंडर व एमडी, टर्नकी म्यूज़िक; दिनराज शेट्टी – एमडी, सोनी म्यूज़िक पब्लिशिंग; विपिन मिश्रा – MCAI; अमित दत्ता – फाउंडर, ADP Law; सलीम मर्चेंट – सिंगर व डायरेक्टर; कौसर मुनीर – गीतकार व कवि; स्नेहा खनवलकर – संगीतकार; विशाल ददलानी – गायक व संगीतकार; लोहिता सुजिथ – MPA; विनोद रंगनाथन – CEO, SRAI, और अन्य कई विशिष्ट जन।
राउंडटेबल से प्रमुख निष्कर्ष:
* विकास के लिए IP का महत्व: रचनात्मक उद्योगों को समर्थन देने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए मजबूत IP ढांचे की आवश्यकता है।
* वैश्विक-स्थानीय सहयोग: WIPO के साथ सहयोग ने अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और ज्ञान साझा करने की अहमियत को रेखांकित किया।
* AI युग की तैयारी: डिजिटल अधिकार, मेटाडेटा प्रबंधन और नैतिक दिशा-निर्देशों पर विशेष ध्यान।
* संस्थागत सुदृढ़ीकरण: सरकारी सहयोग, कानूनी स्पष्टता और CMOs की भूमिका को मजबूती देने की आवश्यकता।
* एकीकृत आवाज का निर्माण: विभिन्न हितधारकों को एकजुट कर सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को दिशा देने की पहल।
* नीति निर्माण में रचनाकारों की भूमिका: राष्ट्रीय IP और डिजिटल नीतियों में रचनाकारों की भागीदारी पर जोर।
* कॉपीराइट शिक्षा और जागरूकता: रचनाकारों और उपभोक्ताओं दोनों को IP अधिकारों के प्रति शिक्षित करने की आवश्यकता।
* सामूहिक प्रबंधन संगठनों को सशक्त बनाना: CMOs के आधुनिकीकरण और पारदर्शिता पर बल।
* डेटा और मेटाडेटा की शुद्धता: क्रेडिटिंग सिस्टम को मज़बूत बनाकर उचित रॉयल्टी सुनिश्चित करने की आवश्यकता।
* संस्कृति-संवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग: WIPO द्वारा वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने की सराहना।
* युवा और नवाचार: युवा रचनाकारों और स्टार्टअप्स की भूमिका को मान्यता।