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देवस्थानम बोर्ड भंग होने से तीर्थपुरोहितो में खुशी की लहर

30,11,2021,Hamari Choupal

 

नई टिहरी। देवस्थानम अधिनियम व उसके तहत गठित बोर्ड को सीएम पुष्कर धामी के भंग किए जाने की घोषणा से यहां तीर्थपुरोहितो में खुशी की लहर दौड़ गई है। बदरीनाथ धाम के तीर्थपुरोहितों ने इसे सत्य की जीत बताते कहा कि आखिर सरकार ने माना कि देवभूमि के लिए यह काला कानून था।

देवभूमि अधिनियम व बोर्ड को भंग करने को लेकर तीर्थपुरोहितों व हक-हकूक धारियों का पिछले दो वर्षों से चल रहा संघर्ष आखिर रंग ले आया। प्रदेश की भाजपा सरकार को अंततः इसको वापस लेने को विवश होना पड़ा। देवस्थानम को लेकर आशा के अनुरूप फैसला आने से यहां तीर्थ पुरोहित समाज में खुशी छाई है। 5 दिसम्बर 2019 को देवस्थानम विधेयक के पारित होते ही उसका विरोध भी शुरू हो गया था। 20 दिसम्बर की श्रीनगर की विशाल रैली के आयोजन के साथ ही तीर्थपुरोहितों के स्थानों देवप्रयाग आदि मे इसको वापस लेने को लेकर धरना व प्रदर्शन भी शुरू हो गए।

तीर्थ पुरोहितों में देवस्थानम अधिनियम से उनके धार्मिक व परम्परागत अधिकारों को खत्म करने की आशंका का सरकार कोई समाधान नहीं कर पाई। देवप्रयाग के बाद बदरीनाथ में भी तीर्थपुरोहितों का इस मुद्दे को लेकर आंदोलन जारी रहा था। देवप्रयाग तीर्थपुरोहित समाज से जुड़े पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता मे इसी साल 25 अगस्त को उच्च अधिकार समिति भी बनी। देवप्रयाग में तीर्थपुरोहित के ही चार धाम तीर्थपुरोहित हक-हकूक धारी महापंचायत अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल ने इसका जमकर विरोध करते पूर्व राज्य सभा सांसद ध्यानी से भी टकराव हुआ।

महापंचायत अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने देवस्थानम बोर्ड भंग किए जाने को सत्य की जीत बताते हुए कहा कि आखिर सरकार को भी सत्य के साथ खड़े होने को विवश होना पड़ा। उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूक धारियों के अधिकारों पर कुठाराघात करने वाले इस काले कानून को वापस लेकर धामी सरकार ने सनातन धर्म की परम्पराओं को मानते उचित फ़ैसला लिया। जिसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।

श्री बदरीश पंडा पंचायत ने फैसले का स्वागत करते हुये कहा कि इसको तीर्थ पुरोहितों व हक हकुक धारियों के संघर्ष की जीत बताया। पंडा पंचायत के अनुसार सत्ता में बैठे कुछ लोगों की हठधर्मिता से इसको लेकर लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी। अध्यक्ष प्रवीन ध्यानी ने कहा पिछले दो वर्षों में तीन मुख्यमंत्रियों के आने के बाबजूद इस काले कानून को लेकर जो आशा थी उसे धामी सरकार द्वारा आखिर पूरा किया गया। भगवान नारायण ने इस काले कानून को वापस लेने की आखिर सरकार को सद्बुद्धि दे ही दी।

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