Thursday , May 16 2024

हेल्थ : मॉनसून में माइग्रेन अटैक का बना रहता है डर, आयुर्वेद ने बताया इसका रामबाण इलाज

माइग्रेन होने के कई कारण हो सकते हैं. बरसात में माइग्रेन ज्यादा बढऩे लगता है. जैसे मतली, तेज रोशनी से दिक्कत, तेज आवाज से दिक्कत होना. माइग्रेन में सिर में तेज दर्द होने लगता है. यह एक आम बीमारी है लेकिन दुनिया के लाखों लोग इससे प्रभावित हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि माइग्रेन सिर्फ बरसात में ही बढ़ता है. यह कभी भी किसी को भी हो सकता है. लेकिन मॉनसून के मौसम में यह अधिक बढ़ जाता है. मानसून के मौसम में लोगों को अधिक माइग्रेन होने का एक मुख्य कारण मौसम के पैटर्न में बदलाव है.

इस दौरान ह्यूमिडिटी का लेवल बढ़ता है और बैरोमीटर के दबाव में कमी होती है. अध्ययनों से पता चला है कि ऐसे परिवर्तन व्यक्तियों में माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं. बैरोमीटर के दबाव में उतार-चढ़ाव मस्तिष्क में ऑक्सीजन और ब्लड के फ्लो के लेवल को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. जिससे माइग्रेन की शुरुआत हो सकती है. मौसम में कई तरह के बदलाव माइग्रेन को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है, और यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 20 प्रतिशत माइग्रेन मौसम में बदलाव के कारण होते हैं.

साथ ही मानसून का मौसम अपने साथ कई अन्य कारक भी लाता है जो माइग्रेन को बढ़ाने का काम करते हैं. हवा में नमी को बढ़ाना जिसेस फफूंद और कवक के विकास को बढ़ावा दे सकती है, जो माइग्रेन के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा, इस दौरान पराग और धूल के कण जैसे एलर्जी कारकों का प्रसार भी बढ़ जाता है. जो इन एलर्जी के प्रति संवेदनशील व्यक्तियों में माइग्रेन के लक्षणों को बढ़ा सकता है. अच्छा लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से माइग्रेन की बीमारी कंट्रोल में रह सकती है. आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. डिंपल जांगड़ा ने कुछ उपाय सुझाए हैं जो माइग्रेन में मदद कर सकते हैं.

शिरोलेपा

शिरोलेपा माइग्रेन और तनाव के कारण होने वाली मानसिक थकावट को ठीक करने में मदद करता है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें कुछ जड़ी-बूटियों को मिलाकर एक पेस्ट बनाया जाता है. पेस्ट को सिर पर रखा जाता है और एक घंटे के लिए केले के पत्ते की मदद से ढक दिया जाता है.

शिरोधारा

गर्म तेल की एक पतली धारा लगातार माथे पर डाली जाती है. वह क्षेत्र जहां हमारी नसें अत्यधिक केंद्रित होती हैं. जब लगातार तेल डाला जाता है, तो तेल का दबाव माथे पर एक कंपन पैदा करता है, जिससे हमारे दिमाग और तंत्रिका तंत्र को मानसिक आराम की गहरी स्थिति का अनुभव होता है.

कवला ग्रह

कवला ग्रह के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है यह माइग्रेन के सिरदर्द से राहत दिलाता है. आयुर्वेद माइग्रेन के हमलों को ठीक करने के लिए चंदनादि तैल और महानरायनी तैल से तेल से सिर दबाने का सुझाव दिया जाता है.

स्नेहा नासया

यह थेरेपी नाक के रास्ते दी जाती है. शिद्भिन्दु तैला या अनु तैला जैसे चिकित्सीय तेल नाक में उसी तरह डाले जाते हैं जैसे आप नाक में डालने वाली बूंदें डालते हैं. यह कंधे के क्षेत्र के ऊपर दर्द के इलाज में मदद करता है.

About admin

Check Also

मोदी सरकार में देश का रक्षा तंत्र मजबूत हुआ: महाराज

देहरादून/लखनऊ। आर्थिक समृद्धि के मामले में 2014 से अब तक मोदी सरकार के 10 वर्षों …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *