Monday , May 20 2024

सीएम गमगीन, मंत्री तमाशबीन

बेशर्मी की भी हद होती है, दर्द में हंसी की फुहार।

हल्द्वानी। यह हंसी क्रूर है, कुटिल है, निर्लज है और सबसे ज्यादा उन लोगों की मजाक उड़ाती दिख रही है, जिनकी जानें उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा में असमय चली गईं। यह एक फोटो हर व्यक्ति की कहानी कहती है, 99 प्रतिशत चेहरों की एक कहानी और एक अपवाद… प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत, मुख्यमंत्री के साथ खड़े होकर आपदा से हुए नुकसान की समीक्षा कर रहे हैं पर चेहरा खिलखिला रहा है।

वह कौन है जिससे मंत्री जी इस गमगीन माहौल में हंसी ठठ्ठा में व्यस्त हैं। शायद पुलिस अधिकारी के पीछे छिपा कोई श्वेत वस्त्रधारी ही है। फोटो समाचार पत्र में प्रकाशित हो चुकी है। इसलिए इस पर मंत्री फोटोशाप्ड होने जैसे टिप्पणी भी नहीं कर सकते।

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में काल के क्रूर चक्र ने सारा तहस-नहस कर दिया है। करीब 48 घंटे तक बरसे बैरी बदराओं ने लोगों के खेलते-कूदते परिवारों को मिट्टी में दफन कर दिया। अब तक पूरे प्रदेश में 58 लोगों की मौत हो चुकी है।

कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका अब भी है। बेतालघाट-चल्थी का निर्माणधीन पुल और गौला का पुल ध्वस्त हो गया। इस वीभत्स हादसे के बाद हमारे नीति नियंताओं का दिल भी पसीजा। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों ने प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण किया। लोगों को ढाढसा बंधाया। ये कदम सराहनीय भी है। लेकिन, इस दौरान वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की बचकानी हरकत किसी को भी रास नहीं आई।

गौला पुल के निरीक्षण के दौरान जब डीआईजी नीलेश आनंद भरणे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को क्ष्रतिग्रस्त पुल की जानकारी दे रहे थे, उसी दौरान मंत्री जी के हंसी के फव्वारे फूट रहे थे। तस्वीर में उनको ठहाके मारते हुए साफ देखा जा सकता है। पार्टी के भीतर और आमजन में जो धीर-गंभीर इमेज उनकी थी, वह इस ठहाके ने धूमिल कर दी है। जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटना पड़ा। तब उनका नाम मुख्यमंत्री के लिए सुर्खियों में रहा था।

इसके बाद जब तीरथ सिंह रावत सीएम पद से हटे तब भी उनका नाम सीएम के पद के दावेदार के तौर राजनीतिक गलियारों में उछला। लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते थे। लेकिन, इस गमगीन माहौल में भी उनके मुंह से हंसी छूट रही है। क्या मंत्री जी की संवेदना आधी रात को जमींदोज हुए उन लोगों की तरह मिट्टी में दफन हो गई है। सहसा, एक बारंगी तो यह लगता है। अरे! शमशानों में जगह नहीं बची। किसी मां का अपना लाडला सदा के लिए बिछुड़ गया।

किसी बहन की मांग का सिंदूर उजड़ गया। किसी का पूरा परिवार ही मलबे में समा गया है, उनके नाते-रिश्तेदारों की आंखों से आसुओं का समंदर नहीं थम रहा है। बस्तियां उजड़ गई हैं। घर शमशान हो गए। मंत्री ने सारे आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। लाशों का अंबार देखा। मलबे में दबे लोगों के शव देखे। मंत्री जी उच्च शिक्षा मंत्री होने के साथ-साथ पीएचडी होल्डर भी हैं। लेकिन इस फोटो ने उनकी सारी शिक्षा दीक्षा पर पानी सा फेर दिया है। उनका मन निर्मोही हो गया। उनके अंदर की आत्मीयता खत्म हो गई। गमगीन माहौल में उनके चेहरे से तो यही प्रतीत होता है।

About admin

Check Also

बाइक रैली आयोजित कर पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया।

देहरादून – 19 मई 2024- कावासाकी देहरादून एवं तमतारा कैफे की ओर से पर्यावरण बचाओ …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *