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नियमित योग से सँवारे अपना जीवन

तेजबहादुर सिंह भुवाल

 

इस जीवन में हर मनुष्य चाहता कि वह स्वथ्य रहे निरोग रहे। पर वर्तमान समय में मनुष्य निरंतर भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में उलझकर रह गया है। मनुष्य अपने दैनिक दिनचर्या में सही वक्त में वो हर काम नहीं कर पाता जो उसे करना चाहिए। वह केवल अपने जीविका के लिए निरंतर दिन रात दौड़ते भागते रहते हैं। पर क्या उसकी जीवनशैली में परिवर्तन आते है और उसका जीवन खुशमय हो जाता है। नहीं वे धनोपार्जन करते-करते वह अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो रहे हैं। आज के समय में किसी के पास स्वयं के लिए वक्त नहीं है। आप अधिकतर लोगों से सुनते है कि मेरे पास वक्त नहीं है। वक्त तो किसी के पास नहीं होता पर वक्त निकालना पड़ता है। व्यक्तियों ने अपने आप को सीमित कर लिया है।

निरोगी लिए एक श्लोक प्रचलित है-

व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं।
आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥
इसका भावार्थ है-

व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं॥

गलत जीवनशैली से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर हो रहा है। सेहत बिगडऩे का एक बड़ा कारण हैं बदलती जीवनशैली। अच्छी सेहत के लिए जीवनशैली का संतुलन होना बहुत जरूरी है। खानपान से भी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इस प्रकार पूरे दिन और रात गलत दिनचर्या होने से सेहत बिगड़ती है। तभी तो आज अधिकतर लोगों को कुछ ना कुछ बीमारी घेरे रहती है। जिससे लोगों की जमा पूंजी भी ईलाज में खत्म हो जाती है।

जरा सोचिए हमारे बड़े बुजुर्ग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत कैसे रहते थे? वे अपने खानपान, रहन-सहन पर विशेष ध्यान रखते थे। वे सही समय पर भोजन और शारीरिक व्यायाम, योग एवं रोजाना पैदल चलने की अपनी दिनचर्या में शामिल करके चलते थे। वे सुबह सूर्योदय से पहले उठना, रात को जल्दी सोना, पन्खे और कूलर का उपयोग बहुत कम करना, मिट्टी के बर्तनों का उपयोग अधिक करना, सर्दी, बुखार होने पर दवाई का उपयोग नहीं करना। इस प्रकार वे अपने जीवन में कुछ नियमों का पालन अवश्य करते थे। यहीं कारण हैं कि वह लंबी आयु तक स्वस्थ जीवन व्यतीत करते थे। तभी तो पहले बड़े बुजुर्ग अधिक उम्र तक जीवित रह पाते थे पर अब मनुष्य की उम्र कम होती जा रही है, इसका मुख्य कारण भौतिक सुविधायुक्त असंतुलित जीवनशैली है।

वर्तमान समय में लोग आराम प्रिय, अधिक भौतिक सुख सुविधा उपभोगी हो गए है। लोगों में तनाव और चिंता भरी जिंदगी हो गयी है। आजकल डिम्प्रेशन के मामले बहुत बढ़ रहे हैं। अधिकतर लोग डिम्प्रेशन के शिकार हो रहे हैं।

तनाव से बचने के लिए अपने आप को किसी ना किसी काम में लगाकर रखना चाहिए। सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें। खुली हवा में निकलकर टहलने से तनाव मुक्ति में बहुत फायदा होता है। संतुलित खान-पान और समय पर किये गये कार्य से सेहत अच्छी रहती है।

जब से कोरोना संक्रमण आया है तब से लोग और भी सीमित हो गए है। घर के बाहर निकलना नहीं, किसी के घर जाना नहीं। दूर-दूर रहना, बातें कम करना। सुरक्षा के लिहाज से कुछ हद तक तो जरूरी है पर अपने आप को दूसरों से दूर ना करें। प्रेम, भावनाओं, विचारों और अपनापन बनाये रखना चाहिए। इस दौरान  लाखों लोगों ने अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए योग को अपनाया हैं। वे नियमित तौर पर कोरोना काल मे योग अभ्यास कर अपने शरीर को आंतरिक शक्ति से मजबूत किया और कोरोना संक्रमण से बचाव भी किया। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए योग और व्यायाम बहुत की लाभदायक सिद्ध हुआ। इससे शरीर मे रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है एवम शरीर स्वस्थ भी रहता है।
इस संक्रमण से लोगों की आंखे खुल गई , जिससे कई चीजें सीखने को मिली। अपने जीवन में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना, संकट की घड़ी के लिए तैयारी रखना, सहयोग की भावना रखना, देश और राज्य के प्रति समर्पित होना शामिल है। हम सभी ने इस महामारी में बहुत कुछ खोया है। जो हमारे लिए अपूर्णीय क्षति है। हमें भूलना नहीं चाहिए कि अभी खतरा टला नहीं है। यह संक्रमण सबके लिए एक सीख है। आगे आने वाले चुनौती के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। जिसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अपने शरीर को मजबूत बनाकर स्वस्थ रखने की। हम अपने जीवन मे थोड़े से सुधार लाकर बेहतर जिंदगी जी सकते हैं।

योग दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्रमहासभा में भारत देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा था-
योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।

इसे पूरे देश ने माना और तभी से पूरे विश्व मे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
तो आइए अपने जीवन को खुशहाल, ऊर्जावान और तनावमुक्त रखने के लिए प्रतिज्ञा ले कि दिनचर्या से कुछ समय निकाल कर योग, ध्यान और व्यायाम को शामिल कर हमेशा प्रसन्नचित व स्वस्थ्य रहेंगे।

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