देहरादून,29,11,2025
देहरादून। उत्तराखंड में मानव तस्करी और गुमशुदा व्यक्तियों के मामलों पर लगाम कसने के उद्देश्य से पुलिस महानिरीक्षक (IG) गढ़वाल परिक्षेत्र राजीव स्वरूप ने परिक्षेत्र के सातों जनपदों में स्थापित एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) के कार्यों की गहन समीक्षा की। परिक्षेत्रीय कार्यालय देहरादून में आयोजित गोष्ठी में IG ने सभी AHTU नोडल अधिकारियों और प्रभारियों को पेशेवर दक्षता के साथ काम करने और लापरवाहियों पर सख्ती बरतने का निर्देश दिया। बेहतर समन्वय और संकलित डेटाबेस तैयार करने के लिए परिक्षेत्र कार्यालय में भी एक समर्पित AHTU का गठन किया गया है।
IG राजीव स्वरूप ने AHTU को सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि:
अपराधियों का डाटाबेस: मानव तस्करी में संलिप्त अभियुक्तों का विस्तृत डाटाबेस तैयार किया जाए, जिसमें सीमावर्ती प्रदेशों के तस्करों की सूची भी शामिल हो।
शोषण की रोकथाम: उन क्षेत्रों को चिह्नित किया जाए जहाँ बाहरी प्रदेशों के लोग प्रलोभन देकर युवतियों/महिलाओं को विवाह के नाम पर ले जाते हैं, ताकि उनके संभावित शोषण को रोका जा सके।
अनाथ बच्चों की सुरक्षा: आपदा में अनाथ हुए बच्चों का तुरंत डाटाबेस तैयार किया जाए और जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित कर उनकी पूरी देखभाल और मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
गुमशुदा बच्चों की विवेचनाओं की समीक्षा करते हुए IG ने मौजूदा एसओपी (SOP) का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कहा कि 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की गुमशुदगी की जाँच पंजीकरण के तत्काल बाद AHTU के सुपुर्द की जाएगी। इसके अतिरिक्त, विगत तीन वर्षों में बरामद न हुए गुमशुदा बालक-बालिकाओं की क्रमवार समीक्षा की गई।
भिक्षावृत्ति में नाबालिग बच्चों के शोषण की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए, AHTU को भिक्षावृत्ति से जुड़े क्षेत्रों को चिह्नित करने और उसमें सम्मिलित व्यक्तियों तथा बच्चों के विवरण का अभिलेखीयकरण करने का निर्देश दिया गया, ताकि किसी भी नाबालिग बच्चे का शोषण न हो।
समीक्षा के दौरान देहरादून (6), हरिद्वार (8) और पौड़ी (1) जनपदों में लम्बित विवेचनाओं की संख्या पाई गई। इस पर सख्ती दिखाते हुए IG ने सभी AHTU को निर्देश दिए कि वे अपने कार्यालयों में विधिवत रजिस्टर व्यवस्थित करें, जिसमें थानों के अतिरिक्त गुमशुदा बच्चों, महिला एवं पुरुषों के विवरण का अभिलेखीयकरण किया जाए। AHTU को गुमशुदाओं के मोबाइल/अंतिम लोकेशन से संबंधित डिटेल रखने और थानों को सहयोग देने के लिए कहा गया। साथ ही, बरामद होने वाले लावारिस शवों की सूचना का अभिलेखीयकरण भी AHTU का दायित्व होगा।
इसके अलावा, बाल आश्रय गृहों का भी संबंधित विभाग (समाज कल्याण) के साथ समन्वय स्थापित कर समय-समय पर भ्रमण करने और बच्चों से बातचीत कर उनकी समस्याओं के प्रभावी निराकरण हेतु कदम उठाने के निर्देश दिए गए। उपरोक्त दिशा-निर्देश सभी जनपद प्रभारियों को पत्र के माध्यम से जारी किए जा रहे हैं।
