Dehradun,07,11,2025
वैश्विक इमिग्रेशन नियमों में हो रहे बदलाव के इस दौर में, मेडिकल शिक्षा में स्थिरता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। सितंबर 2025 में H-1B वीज़ा आवेदन फीस 1,00,000 अमेरिकी डॉलर हो जाना स्पष्ट संकेत देते है कि वीज़ा पर निर्भर रास्ते जल्दी ही असुरक्षित हो सकते हैं। भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए, जो वर्षों की मेहनत और बचत को निवेश करते हैं, उनके लिए अब एक सुरक्षित, मान्यता प्राप्त और किफ़ायती जगह चुनना अनिवार्य हो गया है — और ऐसी स्थिति में फ़िलिपींस सबसे भरोसेमंद विकल्पों में से एक के रूप में उभरा है।
भारत की स्थिति इस आवश्यकता को और भी स्पष्ट करती है। 2025 में, 23 लाख छात्रों ने NEET-UG के लिए रजिस्ट्रेशन किया, जिनमें से 22 लाख ने परीक्षा दी और केवल 12 लाख उत्तीर्ण हुए — यह सब केवल 1.23 लाख MBBS सीटों के लिए 780 कॉलेजों में प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। जबकि सरकारी कॉलेज सीमित हैं, वही निजी कॉलेज अक्सर ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक शुल्क लेते हैं, जिससे कई योग्य छात्रों के पास विदेश जाने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं बचते।
हालाँकि, हर विदेशी मेडिकल विश्वविद्यालय भारत में एक सुरक्षित या मान्य करियर सुनिश्चित नहीं करता। राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (NMC) के नियमों के अनुसार, छात्रों को NEET परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है, कम से कम 54 महीने एक ही संस्थान में पढ़ाई करनी होती है, एक साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होती है, और शिक्षा अंग्रेज़ी माध्यम में होनी चाहिए। गैर-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की डिग्री भारत में लाइसेंस या FMGE/NExT के लिए योग्य नहीं मानी जाएगी। इसलिए, NMC मान्यता छात्र के दीर्घकालिक भविष्य की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दुनिया भर में बदलती वीज़ा और इमिग्रेशन नीतियों ने छात्रों को अधिक भरोसेमंद और स्थिर गंतव्यों की ओर प्रेरित किया है। 2023 और 2024 के बीच, भारतीय छात्रों का नामांकन अमेरिका में 13%, कनाडा में 41%, और यूके में 28% कम हुआ। वहीं, जर्मनी और रूस में नामांकनों में वृद्धि देखी गई — और फ़िलिपींस एक सुरक्षित, छात्र-मैत्रीपूर्ण विकल्प के रूप में लगातार लोकप्रिय हो रहा है। हर साल 15,000 से अधिक भारतीय छात्र MBBS के लिए फ़िलिपींस जाते हैं, जहां उन्हें अंग्रेज़ी माध्यम की शिक्षा, किफ़ायती फीस, सहज क्लाइमेट, और स्थिर व पारदर्शी वीज़ा प्रक्रिया जैसी सुविधाएँ आकर्षित करती हैं।
जैसा कि ट्रांसवर्ल्ड एजुकेयर के सीईओ और संस्थापक अध्यक्ष डॉ. डेविड पिल्लै कहते हैं, “वीज़ा नीतियाँ हर जगह बदलती रहती हैं, लेकिन भारत में डॉक्टरों की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है। छात्रों को मान्यता प्राप्त, किफ़ायती और सुरक्षित मेडिकल मार्गों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि उनका भविष्य अनिश्चित इमिग्रेशन नियमों पर निर्भर न रहे।”
विदेश में मेडिकल शिक्षा की योजना बना रहे परिवारों के लिए रास्ता स्पष्ट है: फ़िलिपींस जैसे स्थिर गंतव्यों में NMC-स्वीकृत विश्वविद्यालयों का चयन करें — जहाँ किफायती फीस, मान्यता और विश्वसनीयता यह सुनिश्चित करती हैं कि डॉक्टर बनने का सपना आसानी से हासिल किया जा सके।