HamariChoupal,17,09,2025
देहरादून। उत्तराखंड की मासूम बेटी नन्ही परी के साथ 2014 में पिथौरागढ़ में हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या की वीभत्स घटना ने एक बार फिर जनमानस को झकझोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्य आरोपी को बरी किए जाने के फैसले ने पीड़िता के परिवार को गहरे आघात में डाल दिया है और न्याय व्यवस्था की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस फैसले के विरोध में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस ने बुधवार शाम कैंडल मार्च निकालकर पीड़िता को श्रद्धांजलि दी और न्याय की पुनः मांग की। महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला के नेतृत्व में कांग्रेस भवन से घंटाघर तक निकाले गए इस मौन मार्च में महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नागरिक शामिल हुए।
मार्च के दौरान उठाई गई प्रमुख मांगों में शामिल थे:
- सर्वोच्च न्यायालय से पुनर्विचार की अपील
- दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग
- बलात्कार जैसे अपराधों में कोई ढील न देने की अपील
- बेटियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग
- राज्य सरकार से पीड़िता के परिवार की सर्वोच्च न्यायालय तक अपील पहुंचाने में सहयोग की अपेक्षा

ज्योति रौतेला ने कहा, “यह सिर्फ एक बच्ची का मामला नहीं, पूरे समाज की अस्मिता का सवाल है। नन्ही परी की आत्मा आज हमसे न्याय की पुकार कर रही है।” उन्होंने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय सुनिश्चित करने की मांग की।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा, “यह फैसला न्याय की आत्मा को आहत करता है। कांग्रेस पार्टी हर बेटी की सुरक्षा और सम्मान के लिए संघर्ष करती रहेगी।”
कैंडल मार्च में नजमा खान, दिनेश जी, आयुष गुप्ता, इतिहाद खान, बंटू जी, ललित बद्री, बबलू पंवार, सिद्धार्थ अग्रवाल, सुशीला बेलवाल शर्मा, सावित्री थापा सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक शामिल हुए।
यह मार्च न केवल श्रद्धांजलि था, बल्कि एक सशक्त संदेश भी — कि न्याय की लौ बुझने नहीं दी जाएगी।