देहरादून ( हमारी चौपाल ) देहरादून के झाझरा क्षेत्र में वन विभाग ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए एक गाड़ी को उस समय पकड़ा जब वह वन विभाग की आरक्षित नदी में विषैला कूड़ा-कर्कट फेंक रही थी। यह कार्रवाई 4 अगस्त को वन बीट अधिकारी अजय पवार और उनकी टीम की सतर्कता के चलते संभव हो सकी। जानकारी के अनुसार, टीम ने पहले से ही संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए रखी थी और मौके पर पहुंचकर वाहन को रंगे हाथों पकड़ लिया।
वन क्षेत्राधिकारी सोनल पेनेरू (झाझरा) द्वारा पहले से ही सभी अधीनस्थ कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए गए थे कि वन क्षेत्रों और जल स्रोतों को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। इस अभियान में वन बीट अधिकारी राहुल कुमार और बीट सहायक सुभाष कुमार भी मौजूद रहे।
डीएफओ देहरादून ने इस त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के लिए पूरी टीम को बधाई दी और ऐसे मामलों में बिना किसी ढिलाई के कार्रवाई जारी रखने का संदेश दिया। साथ ही उन्होंने जनता से अपील की कि वे वन क्षेत्रों और प्राकृतिक जल स्रोतों की सफाई को लेकर जागरूक रहें और ऐसी गतिविधियों की सूचना विभाग को दें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आरक्षित क्षेत्रों में अवैध रूप से कूड़ा डालने वालों के खिलाफ गाड़ी को राजकीय संपत्ति घोषित कर जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि यह कार्रवाई झाझरा क्षेत्र में हुई है, लेकिन राजधानी देहरादून के विभिन्न इलाकों — विशेषकर जहां सड़कों या भवनों का निर्माण हो रहा है — वहाँ पर भी यह समस्या गंभीर रूप से फैली हुई है। निर्माण कार्यों से निकला मलबा, घरेलू कूड़ा और प्लास्टिक जैसे हानिकारक तत्वों को अक्सर नजदीकी जंगलों या बरसाती नदियों में फेंक दिया जाता है। इससे पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचती है और जल स्रोत भी विषाक्त हो जाते हैं।
स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि अधिकतर मामलों में वन विभाग और जिला प्रशासन इस तरह की गतिविधियों पर आंख मूंदे रहते हैं। केवल कभी-कभार किसी मामले में कार्यवाही कर ‘कागजी सख्ती’ दिखा दी जाती है, उसके बाद सबकुछ पहले जैसा चलता रहता है।
**विशेषज्ञों की राय:**
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते ऐसी गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में देहरादून जैसे हरे-भरे क्षेत्रों का पारिस्थितिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ सकता है। बरसात के पानी से बहकर यह कूड़ा बड़ी नदियों तक पहुंचता है, जिससे व्यापक जल प्रदूषण फैलता है।
झाझरा की यह कार्रवाई एक मिसाल है, लेकिन यह तभी असरदार सिद्ध होगी जब इसे एक नियमित अभियान का हिस्सा बनाया जाए और केवल खानापूर्ति नहीं बल्कि हर अवैध गतिविधि पर वास्तविक रोक लगे। नागरिकों की जागरूकता, विभागीय सतर्कता और प्रशासनिक इच्छाशक्ति – ये तीनों ही मिलकर उत्तराखंड के वन क्षेत्रों को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं।
वन विभाग देहरादून वन प्रभाग देहरादून की झाझरा रेज अधिकारी सोनल पेनेरू एव अजय पवार ने की एक नई पहल अधिक वर्षा होने से वन्य जीव साप, बिच्छू,गोह,आदी के बीलो मे पानी घुस जाता है जिससे वह अपनी जान बचाने के लिए घरो की तरफ आते है सभी से सहयोग की अपेक्षा करते वन विभाग द्वारा एक अभियान चलाया गया है ऐसे डरे नही घर पर कुडा करकट न होने दे अगर वन्य जीव घरो मे आता हो तो आपातकालीन नम्बर या 9370359377 एव 8433009890 पर फोन कर सहायता मागे वन एव वन्य जीवो के बचाव मे सहयोग प्रदान करे