देहरादून( हमारी चौपाल) उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना की अध्यक्षता में आज अनुसूचित जाति आयोग के साथ एक महत्वपूर्ण समन्वय बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य अनुसूचित जाति के बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु संचालित योजनाओं की समीक्षा करना और भविष्य की रूपरेखा तय करना था।
बैठक में अनुसूचित जाति आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, समाज कल्याण विभाग, युवा कल्याण विभाग, क्रीड़ा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
बैठक की शुरुआत में समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश में संचालित आश्रम पद्धति विद्यालयों की जानकारी दी गई। वर्तमान में राज्य में कुल 6 आश्रम पद्धति विद्यालय संचालित हैं, जिनमें कक्षा 1 से 5 तक के लगभग 60 छात्र अध्ययनरत हैं। हरिद्वार स्थित मक्खनपुर विद्यालय में कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को भी प्रवेश दिया जाता है। भोजन व्यवस्था हेतु ₹150 प्रति बच्चा प्रतिदिन का प्रावधान है। आयोग ने भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच, टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेस संचालित की जा रही हैं तथा प्रत्येक विद्यालय में दो शिक्षक नियुक्त हैं। आयोग ने सभी आश्रम पद्धति विद्यालयों का विवरण, शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता और प्रचार-प्रसार की कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। साथ ही, प्रत्येक जनपद में ऐसे विद्यालय स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
राज्य में संचालित 13 बी.आर. अम्बेडकर छात्रावासों की जानकारी भी बैठक में साझा की गई। आयोग ने एकलव्य और अम्बेडकर छात्रावासों के मानकों को समान रखने, संतुलित भोजन मेनू तैयार करने, भवनों की मरम्मत, बच्चों के लिए सुलभ लाइब्रेरी की स्थापना और कक्षा 5 के बाद नवोदय जैसे उत्कृष्ट विद्यालयों में कोटा निर्धारित करने के निर्देश दिए।
छात्रवृत्ति योजनाओं में कम लाभार्थियों की संख्या पर चिंता व्यक्त की गई। आयोग को अवगत कराया गया कि पोर्टल पर फॉर्म भरने में कठिनाई के कारण यह संख्या कम है। यदि शिक्षा विभाग, आईटीडीए, कॉमन सर्विस सेंटर और जिला प्रशासन सक्रिय सहयोग करें तो लाभार्थियों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है।
छात्रवृत्ति हेतु कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को केवल स्थायी निवास और जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, जबकि कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों के परिवार की वार्षिक आय ₹2.5 लाख से कम होनी चाहिए।
बैठक के अंत में आयोग की अध्यक्ष ने सभी विभागों से समन्वय स्थापित कर योजनाओं को धरातल पर उतारने और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य हेतु मिलकर प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने भविष्य में भी ऐसी बैठकों के आयोजन पर बल दिया ताकि योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ अनुसूचित जाति के बच्चों तक पहुंच सके।