धर्म,25,11,2025
देहरादून(आरएनएस)। राज्य में 6 नवंबर को देहरादून में धर्म हेतु साका जिन कीया, 17 नवंबर को राजभवन में हिन्द की चादरः एक सर्वाेच्च बलिदान गाथा, 19 से 21 नवंबर तक हल्द्वानी, रुद्रपुर और काशीपुर में पर्यटन विभाग एवं हेमकुंड ट्रस्ट द्वारा स्मृति कार्यक्रम तथा 24 नवंबर को उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
6 नवंबर को देहरादून में धर्म हेतु साका जिन कीआ भव्य लाइट शो कार्यक्रम में गुरु तेग बहादुर जी की शहादत और उनके शौर्य में निहित आध्यात्मिक संदेश को अत्यंत भावनात्मक और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया गया।
इस आयोजन में लगभग 1300 से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिसमें 350 से अधिक छात्र-छात्राएं, दो गटका एवं अखाड़ा दल, श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा जी, सिंह सभा आढ़त बाजार पटेलनगर एवं अन्य गुरुद्वारों की प्रबंधन समितियां, विधायक श्री खजान दास आदि भी उपस्थित रहे।
17 नवंबर को राजभवन में हिन्द की चादर एक सर्वाेच्च बलिदान गाथा शीर्षक से विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान गुरु साहिब के जीवन पर आधारित पुस्तक गुरु तेग बहादुर का विमोचन भी किया गया।
दिनांक 19 से 21 नवंबर तक हल्द्वानी, रुद्रपुर और काशीपुर में पर्यटन विभाग एवं हेमकुंड ट्रस्ट द्वारा स्मृति कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान 19 नवंबर को हल्द्वानी में, 20 नवंबर को रुद्रपुर में और 21 नवंबर को काशीपुर में राज्यव्यापी श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की गई। इन कार्यक्रमों में गुरबानी, सबद-कीर्तन, ऐतिहासिक व्याख्यान, साहिबजादों के बलिदान पर प्रस्तुतियां दीं तथा सिख इतिहास और गुरु परंपरा पर केंद्रित संवाद शामिल रहे। प्रदेश भर में इन कार्यक्रमों के माध्यम से गुरु साहिब के संदेश, धर्म, सत्य, मानवीय गरिमा और कर्तव्यबोध को व्यापक रूप से जनमानस तक पहुंचाया गया।
24 नवंबर को उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, हरिद्वार में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में विद्वानों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और अकादमी समुदाय के प्रतिनिधियों ने गुरु साहिब के आध्यात्मिक, दार्शनिक और राष्ट्र धर्म संबंधी पक्षों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। इस दौरान भावपूर्ण सबद-कीर्तन की प्रस्तुति दी गई तथा गुरु साहिब के जीवन पर आधारित पुस्तक सीसु दीआ परू सिररू न दीआ- धर्म रक्षक गुरु तेग बहादुर का विमोचन किया गया।
इसके अतिरिक्त गुरु की 350वीं शहीदी वर्ष के उपलक्ष में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विकासखण्ड, जनपद और राज्य स्तर पर निबंध, लेखन, वाद विवाद एवं अध्ययन प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इन प्रतियोगिताओं में हजारों विद्यार्थियों ने भाग लेकर गुरु साहिब के जीवन, त्याग, राष्ट्र धर्म और मानवीय मूल्यों पर अपने विचार व्यक्त किए।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि गुरु, गुरु परंपरा और गुरबानी में मानवता के साथ-साथ सृष्टि के कल्याण का भी भाव है। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में गुरु परंपरा की शिक्षाएं समर्पण, तप, त्याग, निर्भीकता, राष्ट्र प्रेम इत्यादि विचार अति महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने गुरु की शिक्षाओं को देश-दुनिया में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए आधुनिक सोशल मीडिया और ए.आई. आधारित प्लेटफॉर्म का उपयोग करने का सुझाव दिया।
