हरिद्वार,29,09,2025
रेनु शर्मा
हरिद्वार ( हमारी चौपाल) शत – शत नमन चरणों में दंडवत प्रणाम) उनका जन्म 28 सितंबर, 1907 को बंगा, पंजाब (अब पाकिस्तान में) में हुआ था. भगत सिंह एक भारतीय उपनिवेशवाद विरोधी क्रांतिकारी थे, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष और बलिदान के लिए जाने जाते हैं.
वे भारत के सबसे सम्मानित स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) जैसे क्रांतिकारी संगठनों से जुड़कर आजादी के लिए संघर्ष किया.
भगत सिंह को लाहौर षड्यंत्र मामले में दोषी पाया गया और 23 मार्च, 1931 को उन्हें सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी दी गई.
भगत सिंह की जयंती उन युवाओं को प्रेरित करती है जिन्होंने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.
“इंकलाब जिंदाबाद”: यह नारा क्रांति और स्वतंत्रता की भावना को व्यक्त करता है और इसे भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लोकप्रिय बनाया.
“वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन मेरे विचारों को नहीं।”: यह दर्शाता है कि शरीर को तो खत्म किया जा सकता है, पर उनके आदर्शों और विचारों को नहीं मारा जा सकता.
“बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते, क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है।”: इस कथन से भगत सिंह ने बताया कि सच्ची क्रांति विचारों के माध्यम से आती है, न कि हिंसक साधनों से.
“जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।”: यह अपनी दृढ़ता और स्वावलंबन को दर्शाता है.
“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है।”: यह उनकी अदम्य भावना और जेल में भी स्वतंत्रता को दर्शाता है.
“क्रांति मानवजाति का एक अपरिहार्य अधिकार है।”: यह स्वतंत्रता को हर इंसान का जन्मसिद्ध अधिकार बताता है.
“श्रम ही समाज का वास्तविक निर्वाहक है।”: यह समाज में श्रमिकों के महत्व पर जोर देता है.
जय श्री राम जय हनुमान 🚩⚔️🚩
जितिन सनातनी
उत्तराखंड प्रदेश महासचिव
विश्व हिन्दू राष्ट्र सेना ⚔️