देहरादून(आरएनएस)। उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में पांच अगस्त को आई आपदा के बाद बनी झील ने चिंता बढ़ा दी है। धराली के अलावा हर्षिल में आए मलबे से भागीरथी का प्रवाह प्रभावित हुआ है। हर्षिल में करीब 1200 मीटर लंबी और 60 मीटर तक चौड़ी झील बन गई है। झील से पानी की काफी कम निकासी हो रही है। इससे यहां जल स्तर में बढ़ रहा है। यहां भागीरथी किनारे स्थित हाईवे भी झील की चपेट में आ गया है। झील से पानी की निकासी के लिए वैज्ञानिकों के साथ ही यूजेवीएनल और सिंचाई विभाग के 30 इंजीनियरों की टीम को मौके पर भेजा गया है। हर्षिल की झील को पंचर कर उससे पानी की व्यवस्थित निकासी के अभी तक के प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं। यहां पांच अगस्त के सैलाब के साथ आए मिट्टी पत्थरों के साथ भारी भरकम पेड़ों ने भागीरथी के प्रवाह को रोक दिया है। झील से पानी की निकासी के लिए भागीरथी के मुहाने पर फंसे पेड़ों को हटाने का काम किया जा रहा है। इसमें एसडीआरएफ और यूजेवीएनएल की टीमें झील में फंसे पेड़ों को काटकर हटाने का काम कर रही हैं। झील से पानी के प्रवाह को व्यवस्थित भागीरथी नदी को चैनेलाइज करने का काम भी किया जा रहा है, ताकि पानी एक साथ ही एक स्थान से निकलने के बजाए अलग-अलग धाराओं में आगे बढ़ सके। इसके लिए मशीनों के साथ ही वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम को तैनात कर दिया गया है। साथ ही एनडीआरएफ की दो ओबीएम बोट भी हर्षिल झील में तैनात कर दी गई हैं। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि झील से पानी की निकासी सुनिश्चित करने के लिए टीमें तैनात कर दी गई हैं। वह झील से पैदा हो रहे खतरे को कम करने के लिए काम पर जुटी हैं। इसमें इंजीनियरों के साथ ही वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है।
उत्तरकाशी : हर्षिल में भागीरथी का प्रवाह रुकने से बनी झील ने बढ़ाई चिंता
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