Hamarichoupal,02,09,2025
रेणु शर्मा
ऋषिकेश (हमारी चोपाल) भारतीय साहित्य संगम द्वारा स्पर्श गंगा होटल ऋषिकेश में एक साहित्यिक संगोष्ठी व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर के १० वरिष्ठ साहित्यकारों एवं कवियों ने शिरकत की। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था की गतिविधियों के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किया।
वयोवृद्ध साहित्यकार शंभू प्रसाद भट्ट स्नेहिल ने सुमधुर आवाज में मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की तत पश्चात उन्होंने कविता वाचन किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुंबई के प्रबुद्ध साहित्यकार मुक्तिनाथ त्रिपाठी ने ‘कभी खुशनुमा यादों के साथ कभी गमों के सैलाबों के बीच नैनो में नीर लिए”। डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने बेटी ने ही मुझको ममता का एहसास कराया, मेरी प्रति छाया बनाकर बेटी ने ही मेरे मन को हर्षाया। रामपुर, मुरादाबाद से कविवर शिव कुमार चंदन ने “भक्त भगवान का संबंध सृष्टि कल से” भक्ति रचना सुनाकर सभा को भक्ति के रंग में रंग दिया। साथ ही बाल कविता “झूम झूम कर बादल बरसे पशु पक्षी जंगल में हर्षे” प्रस्तुत की।
शंभू प्रसाद भट्ट द्वारा, वर्षा आई वर्षा आई, बाढ़-भूस्खलन भी साथ लाई, वर्षा ऋतु का देखो हाल अस्त-व्यस्त अर सब बेहाल, मनोज कुमार गुप्ता ने तमाम उम्र गुजर गई तुम्हें संवारते निखारते दो घड़ी सुकून ना मिला आराम के वास्ते, डॉ राजेश डोभाल ने ‘मैं दिया हूँ, झगड़ा मेरा है अंधेरों से सदा, तू बेवजह ए हवा यूँ न मेरे बीच में आ। शिक्षक एवं साहित्यकार कृपाल सिंह शीला ने कुमाऊनी लोकगीत गीत सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
भारतीय वायु सेवा से सेवानिवृत्त हॉकी कोच व सामाजिक कार्यकर्ता देवेश्वर प्रसाद रतूड़ी जी ने सभी कवियों को स्मृति चिन्ह तथा शाल पहनकर सम्मानित करते हुए आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर दीपक ध्यानी, संजय रावत, प्रेमलाल कंडवाल आदि उपस्थित थे।
ऋषिकेश। भारतीय साहित्य संगम द्वारा स्पर्श गंगा होटल ऋषिकेश में एक साहित्यिक संगोष्ठी व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर के १० वरिष्ठ साहित्यकारों एवं कवियों ने शिरकत की। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था की गतिविधियों के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किया।
वयोवृद्ध साहित्यकार शंभू प्रसाद भट्ट स्नेहिल ने सुमधुर आवाज में मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की तत पश्चात उन्होंने कविता वाचन किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुंबई के प्रबुद्ध साहित्यकार मुक्तिनाथ त्रिपाठी ने ‘कभी खुशनुमा यादों के साथ कभी गमों के सैलाबों के बीच नैनो में नीर लिए”। डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने बेटी ने ही मुझको ममता का एहसास कराया, मेरी प्रति छाया बनाकर बेटी ने ही मेरे मन को हर्षाया। रामपुर, मुरादाबाद से कविवर शिव कुमार चंदन ने “भक्त भगवान का संबंध सृष्टि कल से” भक्ति रचना सुनाकर सभा को भक्ति के रंग में रंग दिया। साथ ही बाल कविता “झूम झूम कर बादल बरसे पशु पक्षी जंगल में हर्षे” प्रस्तुत की।
शंभू प्रसाद भट्ट द्वारा, वर्षा आई वर्षा आई, बाढ़-भूस्खलन भी साथ लाई, वर्षा ऋतु का देखो हाल अस्त-व्यस्त अर सब बेहाल, मनोज कुमार गुप्ता ने तमाम उम्र गुजर गई तुम्हें संवारते निखारते दो घड़ी सुकून ना मिला आराम के वास्ते, डॉ राजेश डोभाल ने ‘मैं दिया हूँ, झगड़ा मेरा है अंधेरों से सदा, तू बेवजह ए हवा यूँ न मेरे बीच में आ। शिक्षक एवं साहित्यकार कृपाल सिंह शीला ने कुमाऊनी लोकगीत गीत सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
भारतीय वायु सेवा से सेवानिवृत्त हॉकी कोच व सामाजिक कार्यकर्ता देवेश्वर प्रसाद रतूड़ी जी ने सभी कवियों को स्मृति चिन्ह तथा शाल पहनकर सम्मानित करते हुए आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर दीपक ध्यानी, संजय रावत, प्रेमलाल कंडवाल आदि उपस्थित थे।
