हैशटैग, जीआईएफ और रील्स की इस डिजिटल दुनिया में, संचार विभिन्न माध्यमों तक फैल गया है। आज भारत का एक बड़ा हिस्सा, इंटरनेट और इसके द्वारा संभव त्वरित संचार के बिना विश्व की कल्पना भी नहीं कर सकता। फिर भी यह सोचना गलत होगा कि प्रभावी संचार एकतरफा माध्यम तक ही सीमित है। लक्षित दर्शकों और उनके सांस्कृतिक संदर्भों का अध्ययन करने से विभिन्न संचार माध्यमों का पता लगाने में मदद मिलती है, जिन्हें व्यक्तियों और समुदायों द्वारा अपनी परिस्थितियों के अनुरूप शुरू किया गया और अपनाया गया है। सामुदायिक रेडियो एक ऐसा रचनात्मक माध्यम है जो आज देश के विभिन्न भागों में फल-फूल रहा है, जिसमें शैक्षणिक संस्थान और ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल हैं। रेडियो सेट सबसे किफायती है और इसका स्वामित्व और संचालन प्रायः आर्थिक रूप से सबसे निचले स्तर वाले व्यक्ति के पास भी होता है। इस संचार माध्यम के मूल में समुदाय के नेतृत्व वाले स्वामित्व और जमीनी स्तर पर अभिव्यक्ति के मूल्य निहित हैं। यह एक ऐसा मंच है जो समुदायों को अपनी भाषा में खुद को अभिव्यक्त करने और उन मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति देता है जो उनके अस्तित्व के मूल में हैं। इस प्रकार के माध्यम न केवल साझेदारियां बनाते हैं, संचार और प्रबंधन कौशल विकसित करते हैं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक भी बनते हैं। इसलिए सरकारें इन स्थानीय संचार प्रयासों को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो मजबूत समुदायों के निर्माण में भी मदद करते हैं।
सामुदायिक रेडियो सही मायने में ‘विश्व दृश्य-श्रव्य और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स), 2025’ में ‘रेडियो वेव्स’ बनाने के लिए तैयार है, जिसका आयोजन 1 से 4 मई, 2025 तक मुंबई में किया जाएगा। वेव्स का आयोजन भारत के मीडिया और मनोरंजन उद्योग को वैश्विक बाजारों से जोड़ने, विकास, सहयोग और नवाचारों को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के साथ किया जा रहा है। वेव्स का मुख्य उद्देश्य उद्योग विकास को गति देना, नवाचार को बढ़ावा देना, युवा प्रतिभा को सशक्त बनाना और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना है। सामुदायिक रेडियो का पंजीकृत व निर्वाचित संगठन, भारतीय सामुदायिक रेडियो संघ (सीआरएआई), भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से, भारत में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के विकास को प्रोत्साहित करने और जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए वेव्स में कई पहलों की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है।
सामुदायिक नेतृत्व में सामाजिक परिवर्तन की रेडियो तरंगें
(डॉ. बृजेन्द्र सिंह पंवार और निकिता जोशी)
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