(आरएनएस)
AnuragGupta
देहरादून23,01,2025विकासनगर। जहां एक ओर पूरा जनपद लोकतंत्र के पर्व में अपनी आहूति देने में लगा हुआ था और पूरा प्रशासन आम जनता को उसके संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए हर संभव प्रयास में लगा हुआ था वहीं कुछ ऐसे भी लोग थे जो कि लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने से पीछे नहीं हट रहे थे। सरकार व शासन की ओर से जारी आदेशों को ताक पर रख कर ये खुलेआम जिला प्रशासन को चुनौती दे रहे थे। ऐसा ही एक मामला यहां पछवादून के सेलाकुई औद्यौगिक क्षेत्र में सामने आया। यहां सिडकुल स्थित विंडलास बायोटेक लिमिटेड कम्पनी ने अपने कारखाने को खुला रख सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे थे।
यहां जब मीडिया की टीम पहुंची तो पाया कि कम्पनी के गेट खुले हुए थे और श्रमिकों से भीतर कार्य करवाया जा रहा था। जब वहां पहुंचे कम्पनी के एचआर मैनेजर, श्री विवेक श्रीवास्तव से संपर्क किया। श्रीवास्तव ने दावा किया कि शासन का आदेश श्रमिकों को काम पर बुलाने की अनुमति देता है। उन्होंने श्रम विभाग के एक आदेश का हलवा देते हुए कहा कि नियम के ही हिसाब से उन्होंने कारखाना खोला है जबकि आसपास के सभी कारखाने बंद थे। वहां काम करने वाले कुछ श्रमिकों ने कहा कि यहां शिफ्ट के हिसाब से काम चल रहा है। हालांकि उत्तराखण्ड शासन के संशोधित आदेश संख्या 154 दिनांक 21 जनवरी 2025 की बात करें तो उसमें साफ साफ लिखा कि श्री राज्यपाल, निगोशिएबल इन्सट्रूमेंट एक्ट, 1881 (1881 का एक्ट संख्या-26) की धारा 25 द्वारा प्राप्त उन अधिकारों का प्रयोग करते हुए, जिन्हें भारत सरकार की विज्ञप्ति संख्या-20/25-56-पब-2, दिनांक 08 जून, 1957 के अनुसार राज्य सरकार प्रयोग में ला सकती है, के अधीन राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना संख्या-1688 एवं 1689/ रा०नि०आ० अनु0- 3/1379/2013 (2024), दिनांक 23 दिसम्बर, 2024 एवं पत्रांक-3472 दिनांक 21 जनवरी, 2025 के कम में प्राप्त प्रस्ताव पर सम्यक् विचारोपरान्त इसमें आंशिक संशोधन करते हुए सामान्य नागर निकाय निर्वाचन 2024-25 हेतु मतदान दिवस दिनांक 23 जनवरी, 2025 (दिन बृहस्पतिवार) को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन समस्त राजकीय कार्यालय / शैक्षणिक संस्थानों / अर्द्ध-शासकीय संस्थानों / निगमों / परिषदों / वाणिज्यिक / निजी प्रतिष्ठानों में कार्यरत कार्मिकों / कारीगरों / मजदूरों हेतु मताधिकार का प्रयोग किये जाने हेतु सवेतन सार्वजनिक अवकाश घोषित किये जाने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते हैं। उक्त तिथि को राज्य के समस्त बैंक, कोषागार तथा उपकोषागार भी बन्द रहेंगें। श्रीवास्तव ने कहा कि वह इस आदेश को मानने के लिए किसी भी तरह से बाध्य नहीं है और यह उनका अपना अधिकार है कि अवकाश करें या न करें।
अब यह देखना होगा कि जनपद प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। क्या प्रशासन कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा या फिर इस मामले को दबाने की कोशिश करेगा? यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है कि आखिर क्यों कंपनी ने शासन के आदेश का उल्लंघन करने की हिम्मत की? क्या इस मामले में किसी राजनीतिक दल या प्रभावशाली व्यक्ति का हाथ है?
श्रमिक संगठनों की प्रतिक्रिया
इस घटना ने समाज और श्रमिक संगठनों में काफी रोष पैदा किया है। श्रमिक संगठनों ने मांग की है कि कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और दोषियों को दंडित किया जाए।