विकासनगर(आरएनएस)। बावर की छह खतों और जौनसार के हाजा-दसऊ में पांच दिवसीय दीपावली पर्व का परंपरागत तरीके से काठ के हाथी और हिरण नृत्य के साथ सोमवार को समापन हुआ। ग्रामीणों ने काठ के हाथी और हिरण नृत्य के साथ दीपावली का जश्न मनाया। देर रात तक पंचायती आंगन लोककला और संस्कृति से सराबोर रहे। जनजातीय क्षेत्र बावर की छह खतों से जुड़े करीब दो सौ गांवों में बीते पांच दिनों से दीपावली का जश्न चल रहा था। सोमवार सुबह दीपावली के मौके पर ईष्ट देव की स्तुति में स्थानीय ग्रामीणों ने काठ का हाथी बनाया। इस दौरान बड़ी संख्या में जुटे ग्रामीणों ने काठ के हाथी को मंदिर के आंगन में कंधे पर नचाया। हाथी नृत्य के दौरान ग्रामीण महिलाओं ने परंपरागत तरीके से जौनसारी तांदी नृत्य की प्रस्तुति से महासू देवता की आराधना की। क्षेत्र के कई मंदिरों और पंचायती आंगन में ग्रामीणों ने परंपरागत हिरण नृत्य के साथ दीपावली मनाई। जौनसार के शेष गांवों में अब एक माह बाद बूढ़ी दीपावली का जश्न शुरू होगा।
दीपावली मनाने बाहर से पैतृक गांव लौटे कई नौकरी पेशा लोगों ने अपने परिजनों के साथ नई दीपावली का जश्न मनाया। क्षेत्र के पंचायती आंगनों में लोकगीतों और लोकनृत्य की धूम रही। बड़ी संख्या में ग्रामीणों के गांव पहुंचने से दीपावली की रौनक बढ़ गई। समापन अवसर पर पंचायती आंगन में जुटे ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से ढोल-दमौ और रणसिंघे की थाप पर हारूल के साथ जौनसारी तांदी नृत्य की प्रस्तुति से समां बांधा। पंचायती आंगन में चले नाच-गाने के बाद ग्रामीणों ने मंदिरों में कुल देवता की पूजा-अर्चना कर अपने घर-परिवार और क्षेत्रवासियों की खुशहाली की कामना की।
खत पशगांव में मनाई नई दीवाली
सहिया। इन दिनों छत्रधारी चालदा महासू महाराज खत पशगांव के दसऊ में विराजमान हैं। इसके चलते खत के सभी 15 गांवों में नई दीपावली मनाई गई। पांच दिवसीय दीपावली का समापन काठ से निर्मित हाथी नृत्य के साथ हुआ। खत पशगांव के हाजा गांव में पीढ़ियों से दीपावली के समापन पर काठ के हाथी को तैयार किया जाता है। इस हाथी पर गांव के स्याणा को बैठा कर नृत्य किया जाता है। जौनसार के साथ ही हिमाचल प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग दीपावली मनाने हाजा पहुंचे।
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