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रुद्रप्रयाग : 20 लाख की धनराशि स्वीकृत बाद होने के भी ,खुले आसमान के नीचे शिक्षा लेने को मजबूर छात्र

 

रुद्रप्रयाग,24,12,2021,Hamari Choupal

 

बीते लम्बे समय से राइंका चमकोट के मुख्य भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। जर्जर हो चुके भवन के लिए शिक्षा विभाग से 20 लाख की धनराशि भी स्वीकृत हुई किंतु इसके बाद भी कार्यदायी संस्था द्वारा कक्षा-कक्षों का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जिससे छात्र-छात्राएं खुले आसमान के नीचे शिक्षा लेने को मजबूर हैं। इधर, पीटीए अध्यक्ष ने खुशाल सिंह ने एक सप्ताह में उचित कार्यवाई न होने पर सीएम कार्यालय में धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है। रानीगढ़ क्षेत्र में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज चमकोट के विद्यालय भवन की हालत जर्जर बनी हुई है।

विधायक निधि से कुछ कक्षों की मरम्मत की गई, किंतु यह राशि पर्याप्त न होने पर दोबारा विद्यालय के प्रधानाचार्य भुवनेश प्रसाद भट्ट के प्रयासों से शिक्षा विभाग से अन्य कक्षा कक्षों की मरम्मत के लिए 20 लाख की धनराशि प्रदान की गई। ग्रामीण निर्माण विभाग को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई। टेंडर के बाद चहेते ठेकेदार को काम दिया गया, किंतु ठेकेदार विद्यायल भवन के दो कमरों की छत तोड़ कर कार्य को अधूरा छोड़ गए। जबकि पुनः दूसरे ठेकेदार को कार्य दिया गया। उनके द्वारा भी फिर अन्य दो और कमरों की छत तोड़ दी गई और अब मरम्मत करने के नाम निर्माण कार्य को अधर में छोड़ दिया गया। इधर, विद्यालय की जर्जर हालत के चलते छात्र-छात्राएं कड़ाके की सर्दी के बाद भी खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं। बताते चलें कि यहां शिक्षा विभाग ने नवीन भवन के लिए वर्ष 200 -08 में निर्माण शुरू किया गया था, किंतु तीन वर्षों तक निर्माण कार्य चलने के बाद अब, 10 वर्ष से कार्य बंद पड़ा है।

जबकि इस भवन पर 84.5 लाख रुपए की धनराशि खर्च की गई। यूपी निर्माण निगम ने स्कूल भवन के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की। इसके बाद 128.44 लाख का रिवाइज स्टीमेट भेजा गया। जिसे अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। पीटीए अध्यक्ष खुशाल सिंह ने कहा स्कूल के नए भवन का कार्य पूरा नहीं हो रहा है और पुराने भवन की मरम्मत के बजाय ठेकेदारों ने वहां तोड़फोड़ कर उसे अधर में लटका दिया है। कहा कि मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री से लेकर जिलाधिकारी सहित अनेक जिम्मेदारों से पत्राचार करने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह में कार्रवाई नहीं की गई तो वह मुख्यमंत्री कार्यालय में धरना प्रदर्शन को मजबूर होंगे।

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