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गैरसैंण राजधानी ही अब पहाड़ के विकास का एकमात्र विकल्प

अल्मोड़ा(आरएनएस)। गांधी पार्क में धरना देते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि गैरसैंण राजधानी ही अब पहाड़ के विकास का एकमात्र विकल्प है इसलिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी को एक मंच पर आकर यह लड़ाई लड़नी होगी। पहाड़ के अस्तित्व को बचाने के लिए जहां एक सशक्त भू कानून की आवश्यकता है वहीं विगत सरकारों द्वारा भूमि की खरीद फरोख्त के लिए खुली छूट दिये जाने वालों कानून अविलंब समाप्त किए जाय। बुधवार को आयोजित धरने पर वक्ताओं ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के त्याग और बलिदान को देखते हुए उन्हें एक सम्मानजनक पेंशन कम से कम 20 हजार दी जाए। वंचित राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण शीघ्र किया जाय तथा घोषणा के अनुरूप आश्रितों को पेंशन दी जाय। राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य की राजधानी व जिला मुख्यालयों में निशुल्क रात्रि विश्राम की व्यवस्था, सभाकक्ष, कार्यालय कक्ष उपलब्ध कराने की भी मांग की है। इस सम्बन्ध में एक ज्ञापन मुख्यमंत्री उत्तराखंड को भेजते हुए एक प्रति जिलाधिकारी अल्मोड़ा को भी भेजी गयी है। यहाँ धरने में ब्रह्मानन्द डालाकोटी, शिवराज बनौला, दौलत सिंह बगड्वाल, गोपाल बनौला, देवनाथ गोस्वामी, रवीन्द्र विष्ट, हयात रावत, पानसिंह, महेश पांडे, तारा दत्त भट्ट, नारायण राम, सुंदर सिंह, गोपाल गैड़ा, पूरन सिंह, बिशंभर पेटशाली, लक्ष्मण सिंह, तारा देवी, देवकी देवी, सहित बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी सम्मिलित हुए।

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