अनुराग गुप्ता
देहरादून। एक ओर पूरे राज्य में पेड़ लगाओ अभियान चल रहा है और देश के प्रधानमंत्री एक पेड़ मां के नाम से वृक्षारोपण अभियान चलाकर आम आदमी को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उत्तराखण्ड वन विभाग के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया के चलते वन माफिया लगातार हरे पेड़ों पर आरी चला रहे हैं और विभागीय अधिकारी उनका मुंह देख रहे हैं। एक के बाद एक कई घटनायें लगातार हो रही हैं लेकिन मजाल है कि वन विभाग के अधिकारियों की कान पर जूं तक रेंग रही हो।
ताजा घटनाक्रम के अनुसार झाझरा रेंज के अटक फार्म में वन माफियाओ ने खैर के आधा दर्जन से अधिक पेड़ों पर रातों रात आरी चला दी और बेसकीमती लकड़ी लेकर फरार हो गये। बताया जा रहा है कि यहां इससे पहले भी माफिया खैर के पेड काट चुके हैं और इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को थी लेकिन कोई कार्रवाई न होने के कारण माफियाओं के हौसले बुलंद हो गये और उन्होंने फिर से आठ पेड़ काट डाले। सूत्रों की माने तो इसमें वन विभाग के ही कर्मचारी और अधिकारी मिले हुए हैं। बरसात का मौसम वन माफियाओं के लिए सबसे मुहीद होता हैं, इस समय वन माफिया जंगलों को काटने की घटनाओं को सबसे अधिक अंजाम देते हैं। झाझरा रेंज में हुयी इस घटना के बाद विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि खैर की यह लकड़ी बाजार में लाखों की कीमत की है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मामले में कई टीमों को पेड़ काटने वालों को पकड़ने के लिए लगायी गयी है, शीघ्र ही मामले में बड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह पहला मामला नहीं है जब झाझरा रेंज में इस तरह से पेड़ कटे, यहां पहले भी कई बार बेसकीमती लकड़ी के पेड काटे जा चुके हैं और वह मामले भी अभी तक फाईलों में ही कैद हैं न तो तस्कर पकड़े गये और न ही लकड़ी बरामद की गयी। इस घटना के बाद विभागीय अधिकारी खिसयानी बिल्ली खम्बा नेाचे वाली सिथति मे हैं और शीघ्र ही मामले का खुलासा करने की बात कर रहे हैं।