देहरादून,16,12,2021,Hamari Choupal
बेहद तेज गति से फैलने वाले नये कोरोना वायरस ओमिक्रॉन के दक्षिण अफ्रीका में मिलने के बाद इसका दुनिया के 63 देशों में पहुंचना चिंता का विषय है। निस्संदेह, इस बाबत किसी भी तरह की लापरवाही समस्या के जटिल होने का कारण बन सकती है। देखते ही देखते देश के छह राज्यों व दो केंद्रशासित प्रदेशों में इसके वायरस की दस्तक चिंता बढ़ाने वाली है। यह ठीक है कि देश में वयस्क आबादी के पचास फीसदी से अधिक लोगों को दोनों डोज़ लग चुकी हैं, लेकिन चिंता की बात है कि देश में कुछ वयस्कों के अलावा किशोरों व बच्चों का टीकाकरण अभी शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में विशेषज्ञ जहां बच्चों को वैक्सीन लगाने की जरूरत बता रहे हैं, वहीं दोनों टीके लगा चुके लोगों को भी बूस्टर डोज देने की बात कह रहे हैं। विकसित देशों के अध्ययन बता रहे हैं कि जिन लोगों को दो डोज़ वाली वैक्सीन के अलावा अन्य वैक्सीन दी गई, उनकी इम्यूनिटी में ज्यादा वृद्धि हुई है। ऐसे में हमारी कोवैक्सीन मददगार हो सकती है। हालांकि, अभी नये वेरिएंट को लेकर प्रामाणिक अध्ययन आने बाकी हैं, लेकिन इस वायरस के कोरोना संक्रमण और टीकाकरण से हासिल रोग प्रतिरोधकता को बेधने के संकेत हैं, जो चिंता की बात है। लेकिन वैज्ञानिक भरोसा दे रहे हैं कि टीका लगा चुके लोगों को संक्रमण गंभीर असर नहीं करता है और शुरुआती लक्षणों के बाद जल्दी ठीक होने की संभावना होती है। वायरस की संक्रमण दर तेज होने के बावजूद इससे गंभीर रूप से बीमार पडऩे तथा मरने के आंकड़े कम हैं। बहरहाल, दूसरी लहर के वक्त देश ने संसाधनों के संकट व चिकित्सा तंत्र की नाकामी का जो हाल देखा, उसके चलते सरकार व समाज को सतर्क रहना जरूरी है। ऐसे में महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक और चंडीगढ़ में इसके मामले प्रकाश में आने के बाद टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट की रणनीति को कारगर बनाने की जरूरत है।
निस्संदेह वायरस अमेरिका व ब्रिटेन आदि देशों में जिस तेजी से पैर पसार रहा है, उसके चलते सरकारों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। कुछ यूरोपीय देशों में लॉकडाउन लगाने की घोषणा हुई है। वहीं वैक्सीन से हासिल सुरक्षा कवच को भेदने की आशंका से वायरस को लेकर सरकारों के हाथ-पैर फूले हुए हैं। खासकर टीकाकरण के दायरे से बाहर रहने वाले तबके को लेकर ज्यादा फिक्र है। आशंका है कि उनके लिये नये वायरस के संक्रमण से पिछली लहर जैसे घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन से बच्चों के बड़ी संख्या में संक्रमित होने से सरकारें व अभिभावक चिंतित हैं, भारत जैसे सघन जनसंख्या घनत्व वाले देश में वायरस की चुनौती ज्यादा बड़ी है। तभी विशेषज्ञ शीघ्र बूस्टर डोज की वकालत कर रहे हैं। जरूरत जनवरी से जारी टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की भी है। फिलहाल देश में अन्य वायरस से संक्रमित रोगियों की स्थिति आठ हजार के आसपास है, लेकिन मरने वालों का क्रम भी जारी है। देश में साढ़े तीन करोड़ लोगों के संक्रमित होने और तीन करोड़ चालीस लाख से अधिक का ठीक होना बताता है कि हम इसका मुकाबला मजबूती से कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि हमने सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दोनों लहरों में करीब पौने पांच लाख लोगों को खोया भी है। फिलहाल देश में जो भी ओमिक्रॉन के मामले सामने आये हैं, वे अधिकांश विदेशों से आये लोगों में ही पाये गये हैं। सरकारें सुनिश्चित करें कि वे संक्रमण विस्तारक न बन पायें। हमारी चिंता सर्दी के मौसम में इसके विस्तार की अनुकूलता को लेकर भी होनी चाहिए क्योंकि इस मौसम में वायरस का फैलना स्वाभाविक है। हमें बचाव के उन तीन उपायों को ही अपनाना होगा, जिनका हमने पिछली दो लहरों के दौरान पालन किया। फिलहाल हमारी सजगता व सतर्कता ही हमारा प्राथमिक उपचार है। इस बीच अच्छी खबर यह है कि सीरम इंस्टिट्यूट ने तीन व उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिये अगले छह महीनों में नोवावैक्स कोविड वैक्सीन लॉन्च करने की बात कही है।