हरिद्वार(आरएनएस)। हनुमान जयंती पर्व पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के पौराणिक तीर्थ दुख हरण हनुमान मंदिर में पवन पुत्र हनुमान की विशेष पंचरात्र पूजा-अर्चना की गई और नया चोला चढ़ाकर अभिषेक किया गया। इससे पूर्व नगर में जूना अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरी, श्रीमहंत सुरेशानंद सरस्वती, श्रीमहंत पूर्ण गिरी, श्रीमहंत पशुपति गिरी, कोठारी महंत महाकाल गिरी, महंत गोविंद गिरी, महंत धीरेंद्र पुरी, महंत ग्वालापुरी, महंत रतन गिरी आदि के संयोजन में नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। बैंड बाजों तथा सुंदर झांकियों के साथ निकली शोभायात्रा में हरियाणा पंजाब के अतिरिक्त सैकड़ों स्थानीय श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हनुमान जयंती पर श्री दुख हरण हनुमान मंदिर में गत दो दिनों से चल रहे सुंदरकांड का समापन कर विशिष्ट यज्ञ किया गया। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि तथा दुख हरण हनुमान मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत आनंद गिरि के संयोजन में एक विशाल संत सम्मेलन भी आयोजित किया गया। जूना अखाड़े के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमहंत केदारपुरी की अध्यक्षता और राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती के संचालन में महामंडलेश्वर श्रीमहंत हरी चेतनानंद गिरी ने हनुमान जयंती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज हनुमान जी का प्रकट उत्सव है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि हनुमान ने बाल्यावस्था में सूर्य को फल समझकर निगल लिया था। सूर्य को मुक्त करने के लिए इंद्र ने वज्र से प्रहार कर हनुमान जी के मुख से सूर्य को मुक्त कराया था, लेकिन हनुमान के निर्जीव होने पर उनके पिता पवन देवता ने वायु संचार बंद कर दिया। पीठाधीश्वर श्रीमहंत आनंद गिरि ने बताया दुख हरण हनुमान मंदिर पौराणिक तीर्थ है जो कि ललित तीर्थ पर बसा हुआ है, महाभारत काल के अनुशासन पर्व में उल्लेख है कि इसी ललित तीर्थ पर शांतनु का मां गंगा से मिलन हुआ था तथा स्वर्ग के शापित आठ वसुओं का जन्म मां गंगा की कोख से यहीं पर हुआ था। इन आठों वसुओं को इसी तट पर मां गंगा ने अपनी धारा में प्रवाहित कर श्राप मुक्त किया था।
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