Hamarichoupal,03,03,2024
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा की वही घिसे पीटे पुराने चेहरे देकर भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की आधी जंग ऐसे ही गंवा दी है। दसौनी ने कहा कि पिछले 5 साल से भाजपा के जो सांसद अल्मोड़ा, टिहरी और नैनीताल क्षेत्र की जनता ने चुनकर भेजे थे उन्होंने 5 सालों में एक बार भी कभी अपनी क्षेत्रीय जनता को मुड़ कर नहीं देखा।
दसौनी ने कहा की उन सांसदों का आलम यह है की प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को जिन गांवों को गोद लेने की बात कही थी वह गांव कभी चुने हुए सांसदों की गोद से नीचे ही नहीं उतर पाए विकास कहां से होता?? दसौनी ने कहा कि पिछले चुनाव में तो मोदी के सहारे या पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों के बलिदान का वास्ता देखकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने अपनी चुनावी वैतरणी पार कर ली परंतु कांठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, पिछले 5 सालों में उत्तराखंड की जनता ने बहुत कुछ सहा है बेरोजगारी महंगाई का दंश हो या फिर महिला अपराध इन सांसदों का कभी कोई आता-पता ही नहीं था, क्षेत्रीय जनता की किसी भी दिक्कत, परेशानी, कष्ट, चुनौती के समय पर यह हमेशा लापता ही रहे। दसौनी ने कहा की वैसे तो पूरे देश में ही सत्ता विरोधीलहर प्रचंड रूप से बह रही है परंतु उत्तराखंड में तो इसे खास करके देखा दे जा सकता है, यहां भारतीय जनता पार्टी के सांसदों को सदन में देखकर ऐसा लगता था की उनके अंदर जुबान ही नहीं है।गरिमा ने कहा की उत्तराखंड जैसे सैन्य बाहुल्य प्रदेश पर केंद्र सरकार ने अग्नि वीर जैसी आत्मघाती योजना थोपी जिसने प्रदेश के युवाओं के सपनों को चकनाचूर किया कर दिया लेकिन जिस उत्तराखंड की जनता ने प्रेम और विश्वास के साथ पांचो लोकसभा सीटों से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को विजयी बना कर भेजा था उसके किसी भी सांसद में इस अग्नि वीर योजना के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत तक सदन के अंदर नहीं हुई। जोशीमठ भू धंसाव हो या रेहणी की आपदा, सिल्क्यारा टनल हादसा या भर्ती घोटाले, अंकिता भंडारी हत्याकांड हो या फिर ग्रामीण अंचलों में जंगली जानवरों का आतंक,यहां तक की सशक्त भू कानून पर भी इन सांसदों ने कभी मुंह नहीं खोला, कभी भी इन चुने सांसदो ने दिल्ली से देहरादून का रुख नहीं किया। दसौनी ने कहा की यह सांसद सिर्फ और सिर्फ बयान वीर ही साबित हुए।
दसोनी ने कहा कि सांसद एक चुने हुए प्रतिनिधि होने के साथ-साथ केंद्र में प्रदेश की आवाज होते हैं परंतु पिछले 5 सालों में यह आवाज कभी ना सुनाई दी ना दिखाई दी, ऐसे में उत्तराखंड की जनता ने इस बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को सबक सिखाने का मन बना लिया है।