देहरादून(आरएनएस)। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत वर्ष 2023-24 में राज्य के निजी स्कूलों में हुए सभी दाखिलों की जांच होगी। इसके लिए बाकायदा शिक्षा विभाग की टीमें भौतिक सत्यापन शुरू करेंगी। बीते साल आरटीई के तहत प्रदेश में 19249 बच्चों को प्रवेश मिला है।
बीती 17 फरवरी को समग्र शिक्षा उत्तराखंड के राज्य परियोजना निदेशक बंशीधर तिवारी ने आरटीई को लेकर ऑनलाइन मीटिंग ली थी। जिसमें छात्र प्रतिपूर्ति की धनराशि बच्चों के बैंक खाते में भेजने में हो रही परेशानी का मामला सामने आया था।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बच्चों के बैंक अकाउंट एक्टिव न होने और गलत खाता संख्या होने के कारण कई छात्रों का पैसा ही नहीं आया। निजी स्कूलों की ओर से लापरवाही बरतने से ऐसा हुआ है। मामले का संज्ञान लेते हुए परियोजना निदेशक ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों का भौतिक सत्यापन करने को कहा है।
साथ ही ये भी कहा है कि यदि बच्चों के खाते में प्रतिपूर्ति रकम नहीं पहुंचती है तो इसके लिए संबंधित निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य और प्रबंधक जिम्मेदार होंगे। पहले बच्चों को बाद में स्कूलों को मिलेगी रकम आरटीई में प्रवेश लेने वाले बच्चों को प्रतिपूर्ति की रकम शिक्षा विभाग से मिलती है।
साथ ही स्कूलों को भी बच्चों की फीस, मेंटिनेंस खर्च आदि के लिए प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। सीईओ नैनीताल जगमोहन सोनी ने स्पष्ट किया है कि अब तभी स्कूलों को उनके हिस्से की प्रतिपूर्ति की रकम मिलेगी, जब सभी बच्चों के हिस्से का पैसा उनके खाते में पहुंच जाएगा।
बच्चों के बैंक खाते, आईएफएससी कोड की सही से जांच करने को निर्देशित किया गया है। कई जिलों में बच्चों के बैंक संबंधित जानकारी सही न होने से उनका पैसा वापस आ गया था। – डॉ. मुकुल सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखंड।
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