देहरादून(आरएनएस)। पेयजल के निजीकरण के खिलाफ गुरुवार को प्रदेश भर में पेयजल कर्मचारियों ने हल्ला बोल अभियान चलाया। सभी जिला मुख्यालयों पर रैली निकाल विरोध जताया। शहरी विकास की एडीबी के बजट से काम करने वाली ने उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी पर शासन में तय हुए फैसले के खिलाफ जाकर पेयजल से काम छीनने का आरोप लगाया।
देहरादून में जल संस्थान जल निगम संयुक्त मोर्चा के बैनर तले पेयजल कर्मचारी जल भवन नेहरू कालोनी में जुटे। यहां शहरी विकास की एजेंसी के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर विरोध जताया। यहां से कर्मचारी बड़ी संख्या में रैली निकालते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। यहां जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। संयोजक रमेश बिंजौला और विजय खाली ने कहा कि शासन स्तर पर अपर मुख्य सचिव शहरी विकास की बैठक में तय हुआ था कि एडीबी के कार्यों के लिए जल निगम की प्रोजेक्ट इम्पलीमेंटशन यूनिट का गठन होगा। जल निगम के मौजूदा डिवीजनों को पीआईयू का जिम्मा देने का ब्यौरा भी जल निगम की ओर से शहरी विकास को सौंप दिया गया था।
योजनाओं का निर्माण पूरा होने के बाद जल संस्थान योजनाओं का संचालन करेगा। इससे जुड़े विधिवत आदेश शासन स्तर से हुए। इसके बावजूद इन तमाम करार, आदेशों को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी ने अपने स्तर पर ही न सिर्फ काम शुरू करा दिया है, बल्कि इन योजनाओं के संचालन का जिम्मा भी 18 साल के लिए निजी हाथों में दे दिया है। ये सीधे तौर पर शासन के आदेशों की भी अवहेलना है। ऐसा करने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। तत्काल सभी काम पेयजल एजेंसियों को वापस लौटाए जाएं।
रैली में विरोध जताने वालों में ये रहे शामिल
जेबी शर्मा, अरविंद सजवाण, सुभाष कोटनाला, भजन सिंह चौहान, प्रमोद नोटियाल, सतेंद्र कुमार, आनंद राजपूत, एसएस रावत, एनएस रावत, एसके पेटवाल, श्याम सिंह नेगी, गौरव बर्त्वाल, विनोद रतूड़ी, अजय सिंह चौहान, मनवर सिंह बिष्ट, बचन सिंह, लाल सिंह, शिशुपाल रावत, विनोद सिंह, आशीष तिवारी, धन सिंह चौहान, संदीप मल्होत्रा, नंद कुमार तिवारी, जगत सिंह, रमेश चंद्र शर्मा, सरिता नेगी, ममता भाकुनी, संतोष पुंडीर, कांता देवी,
एकीकरण, राजकीयकरण पर जल्द हो फैसला
समन्वय समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह देव ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार तत्काल पेयजल को राजकीय विभाग बनाए जाने का फैसला ले। दोनों एजेंसियों का एकीकरण करते हुए राजकीय विभाग बनाए। वेतन, पेंशन का भुगतान सीधे ट्रेजरी के माध्यम से सुनिश्चित किया जाए। शासन स्तर से पहले भी ये आश्वासन दिया जा चुका है।
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