देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड में भू संबंधी कानून की पुनः समीक्षा जरूरी है ऐसी जानकारी में आया है कि यहां कश्मीर में रहने वाले कुछ लोग भी भूमि खरीद चुके है। इस बारे में कालसी एसडीएम के यहां भी शिकायत दर्ज की गई है। जानकारी के मुताबिक गुलाम हैदर नाम के इस शख्स ने यहां जमीन खरीदी है और ये व्यक्ति जम्मू कश्मीर पुलिस ने अधिकारी रहा था और वहां ये संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त रहने की वजह से निलंबित भीं रहा। ये व्यक्ति उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र में कैसे जमीन ले रहा है? ये बड़ा सवाल है।
आओ हम आपको बताते हैं ये सब कैसे चल रहा है, संजय खान नामक एक व्यक्ति ने जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र दिया है जिसमें लिखा है कि न्यायालय तहसीलदार कालसी के समक्ष एक दाखिल खारिज वाद सं० 210/2022 गुलाम हैदर बनाम रजब अली आदि विक्रय पत्र दिनांक 16-03-2022 के आधार पर चल रहा है। उपरोक्त दाखिल खारिज में भूमि क्रेता गुलाम हैदर पुत्र हैदर अली हैं, जिनके द्वारा अपना पता ग्राम व पो.ओ. अम्बाडी तहसील विकासनगर, जिला देहरादून हाल निवासी निकट मस्जिद शरीफ, थांग नुबरा, लेह तुरतुक लद्दाख विक्रय पत्र में अंकित किया गया है, तथा विक्रय पत्र में यह प्रदर्शित किया गया है कि क्रेता / परिवार के नाम पर उत्तराखण्ड राज्य में 2003 से पूर्व भूमि है। उपरोक्त दाखिल खारिज में क्रेता गुलाम हैदर व उसका परिवार उत्तराखण्ड राज्य के निवासी नहीं हैं और न ही गुलाम हैदर व उसके परिवार के नाम पर वर्ष 2003 से पूर्व कोई कृषि भूमि उत्तराखण्ड राज्य में दर्ज है। गुलाम हैदर की माता हाजिरा बानो के द्वारा वर्ष 2007 में मौजा अम्बाड़ी तहसील विकासनगर, परगना पछवादून, जिला देहरादून में भूमि खाता सं0 191 के खसरा नं0 27 रकबा 0.1000 है० व खसरा नं0 28 रकबा 0.0800 है०, कुल रकबा 0.1800 है0 भूमि इसके पूर्व मालिकसईद अहमद,नासिर अहमद,जहांगीर अहमद पुत्र स्व० अब्दुल रहीम निवासीगपा हरिपुर कालसी से पंजीकृत विक्रय पत्र दिनांक 22-05-2007 के द्वारा क्रय की है और विक्रय पत्र में पृष्ठ स० 5 चरण सं० 9 में अंकन किया है कि क्रेता के पुत्र मौहम्मद अली पुत्र स्व० हैदर अली का मौजा अम्बाडी में 40 वर्षों से मकान बना हुआ है, लेकिन सम्पत्ति का कोई विवरण अंकित नहीं किया गया है जिससे स्पष्ट है कि हाजिरा बानों व उसके पुत्रों के नाम पर उत्तराखण्ड राज्य में वर्ष 2003 से पूर्व कोई कृषि भूमि नहीं है और न ही अभिलेखों में कोई भूमि ही 2003 से पूर्व दर्ज य अंकित है। गुलाम हैदर पुत्र स्व० हैदर अली उत्तराखण्ड राज्य के निवासी नहीं है और न ही गुलाम हैदर व उसके परिवार के नाम पर उत्तराखण्ड राज्य में 2003 से पूर्व अभिलेखों में कोई भूमि दर्ज व अंकित है जिससे स्पष्ट है कि गुलाम हैदर व उसकी माता हाजिरा बानों द्वारा अपने हक में विक्रय पत्र सम्पन्न कराते समय विक्रय पत्र में 2003 से पूर्व उत्तराखण्ड राज्य का भूमिधर होना गलत रुप से प्रदर्शित किया गया है, जिसकी सघन जांच की जानी आवश्यक है।
उसने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि गुलाम हैदर जम्मू कश्मीर राज्य के निवासी हैं जिनका पूर्ण विवरण प्रार्थी के द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 से प्राप्त किया है जिसमें स्पष्ट रुप से यह प्राप्त हुआ है कि गुलाम हैदर जम्मू कश्मीर राज्य के मूल निवासी है और वह जम्मू कश्मीर में पुलिस विभाग में कार्यरत थे जो कि वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। गुलाम हैदर व उसके परिवार के नाम पर उत्तराखण्ड राज्य में वर्ष 2003 से पूर्व कोई कृषि भूमि अभिलेखों में दर्ज नहीं है जिस कारण गुलाम हैदर व उसके परिवार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में प्रचलित ज०वि०अधि० का घोर उल्लंघन किया गया है, गुलाम हैदर व उसके परिवार की आवश्यक जांच की जानी और जांच के पश्चात उनके व उनके परिवार द्वारा क्रय की गयी भूमि को नियमानुसार राज्य सरकार में दर्ज किया जाना न्यायहित में उचित एवं आवश्यक है।
सूत्रों की माने तो यहां इस जमीन को लेकर बड़ा खेल खेला गया। पटवारी से लेकर तहसीलदार तक ने फर्जी रिर्पोट लगा दी। इस पूरे मामले मे जिलाधिकारी का रूख काफी कड़ा है, जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी को तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही करने को निर्देशित किया है।
कश्मीर के मुस्लिम खरीद रहे उत्तराखण्ड में जमीनें
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