ऋषिकेश(आरएनएस)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सिल्क्यारा टनल से आयी खुशखबर पर खुशी व्यक्त करते हुये कहा कि आज का सूर्य पूरे भारत के लिये एक नया उजाला लेकर आया है। सभी के चेहरे पर सुकून दिखायी दे रहा है। 400 घन्टों का लम्बा टनल आपरेशन, 41 मजदूर और 141 करोड़ लोगों की प्रार्थनायें और दुआयें साथ थी।
स्वामी जी ने कहा कि जिन्दगी जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान जिन्दाबाद! आस्था व व्यवस्था का अद्भुत चमत्कार था यह आपरेशन।
आस्था और व्यवस्था ने दिखा दिया कि भारत महान है! भारत ने कर दिखाया। शाबाश भारत! वाह भई भारत! वंदे मातरम्, भारत माता की जय के साथ स्वामी जी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का हर पल मार्गदर्शन और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के घोर परिश्रम और रेस्क्यू टीम ने पहाड़ों का सीना चीर कर, पहाड़ तोड़ रेस्क्यू आपरेशन कर मौत के मुंह से हमारे 41 श्रमिकों को निकाल लायें।
स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी तो लगातार लगे रहे, थके ही नहीं, डटे रहे और अंत में भी जब श्रमिकों से मिले, हार पहनाया तो उनके आंखों में आंसू थें, उनकी आंखों में उन सब के लिये प्रेम छलक रहा था, वह क्षण सच में सभी को भावुक करने वाला था। दूसरी ओर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता धामी जी जो की आस्थावान नारी है, वे शुरूआत से ही प्रार्थना करती रही। एक ने आस्था और दूसरे ने व्यवस्था देखी दोनों के अद्भुत संगम ने इस संकट से पार कराया। मजदूरों का, मजदूरों के परिवारों के खाने-पीने, रहने से लेकर हर बात का ध्यान रखा।
श्रमिकों के बाहर निकलते ही माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का खुद का सबसे काल कर बात करना, कौन करता है। अपने परिवार वाले ही थक जाते हैं दूर हो जाते हैं। ये आपरेशन मजदूर नहीं बल्कि आपरेशन मशहूर बन गया, सदियों तक इसकी गूंज सुनायी देगी।
आज पूरे भारत की निगाहों में राहत, सुकून और विश्वास एक नया उल्लास झलक रहा है। धन्य है भारत भूमि, भारत माता के लाल, भारत की संस्कारी संस्कार, वे 41 श्रमिक और उनके परिवार जिन्होंने अपने धैर्य की पराकाष्ठा दिखायी, उनके धैर्य व विश्वास के बिना रेस्क्यू आपरेशन सफल नहीं हो सकता।
रेस्क्यू आपरेशन को सफल बनाने के लिये जिन टीमों ने अपनी नींद व चैन, रात व दिन एक किया उन सभी का अभिनन्दन। यही है भारत की माटी की एकता का रंग, इस एकता को सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता, आपदा उत्तरकाशी में आयी और उतर आया पूरा भारत। दर्द श्रमिकों को हुआ और दुआओं के लिये हाथ पूरे भारत के उठे।
हमारे 41 कर्मवीरों ने 18 दिनों के बाद सूर्य के दर्शन किये, जब वे दौड़ते-दौड़ते बाहर निकले, गले मिले उस समय भी उन्होंने गजब के धैर्य, हौसला, साहस और विश्वास का परिचय दिया। धन्य है हमारे कर्मवीर जो भारत के विकास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जो देश को सजाते हैं, आज देश उन्हें साथ दे रहा है। धन्य है हमारी केन्द्र व राज्य की सरकारें जिन्होंने दिखा दिया की भारत की इस धरती पर रहने वाला प्रत्येक नागरिक समान है, सभी पर हमारी संस्कारी सरकार की समान दृष्टि है, आपदा कहीं पर भी आये पूरा भारत एक है, दर्द किसी को भी पूरा देश उस दर्द का एहसास करता है और सहयोग हेतु समर्पित है।
12 नवम्बर से हमारे कर्मवीर श्रमिक भाई जिन्दगी की जंग टनल के अन्दर लड़ रहे थे और रेस्क्यू आपरेशन टीम टनल के बाहर संघर्ष कर रही थी। इस आपरेशन को सफल बनाने वाली एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अन्य देशी-विदेशी एजेंसिंया, सभी को साधुवाद व धन्यवाद क्योंकि उन्होंने श्रमिकों को बाहर निकालने के लिये प्लान बनाये, प्लान फेल भी हुये, भारत सहित विश्व के निगाहे थी, दबाव था परन्तु उनके हौसले बुलंद थे उन्होंने कर दिखाया उनकी मेहनत, लगन और कर्मठता से 41 श्रमिक अपने परिवारों के वापस पहुँच पाये।
भारत की इस एकता को सलाम। शाबाश भारत। दीपावली तो आज है, देव दिपावली और इगास की खुशियां लेकर आया है आज का दिन, आज का सूरज। जैसे ही सभी मजदूर स्वस्थ होकर अपने घरों या काम पर वापिस लौटे, परमार्थ निकेतन परिवार उन सबके लिये विशाल भंडारा व गंगा आरती कर प्रभु को पुनः धन्यवाद समर्पित करेगा।
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