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उत्तराखंड : दसऊ में 45 साल बाद मनाई गई नई दीपावली

विकासनगर(आरएनएस)।  जौनसार बावर क्षेत्र में नई दिवाली वहीं मनाई जाती है, जहां चालदा महासू देवता प्रवास पर होते हैं। वर्तमान में क्षेत्र की जेठी खत कही जाने वाली खत पशगांव के ग्राम दसऊ में विराजमान चालदा महाराज के समक्ष खत के 15 गांवों के हजारों ग्रामीणों ने रविवार को दसऊ पहुंचकर दिवाली का त्योहार मनाया। खत में 45 वर्ष बाद महाराज के आगमन पर नई दिवाली मनाई गई। जौनसार में हमेशा से देश के अन्य स्थानों पर दिवाली मनाए जाने के एक माह बाद दीवाली मनाने की परंपरा है, लेकिन यह मान्यता है कि जब क्षेत्र में हमेशा चलायमान रहने वाले चालदा महाराज जिस खत में विराजमान रहते हैं, तो उस समय उस क्षेत्र के बाशिंदे देवादेश पर नई दीवाली मनाते हैं। महाराज के दसऊ पहुंचने पर ग्रामीण खासे उत्साहित हैं व इस वर्ष चालदा महाराज के जौनसार की जेठी खत पशगांव के दसऊ पहुंचने पर खत के 15 गांव हाजा, डाडुवा, दुनुवा, मटियाना, सुनौडा, दौधा, गबेला, भूपौउ, कितरोली, दसऊ, गमरी, कोटा, मंझगांव, मेलौत, कोटा कवानु, के ग्रामीणों ने नई दीवाली मनाई। रविवार शाम को नई दीवाली का जश्न मनाने के लिए इन गांवों से जुड़े व आसपास के क्षेत्र से हजारों लोग दसऊ पहुंचे। हाथों में भीमल की लकड़ी की मशाल ” होलियात ” लेकर देवता की पूजा-अर्चना कर पारंपरिक नाच गाने के साथ दिवाली का त्योहार मनाया। इस दौरान पूरा गांव देव जयकारों से गूंज उठा। क्षेत्रवासियों ने महाराज के समक्ष अपने देश-प्रदेश के सुख समृद्धि की कामना की। खत के सदर स्याणा व मन्दिर समिति के अध्यक्ष शूरवीर सिंह चौहान ने बताया कि 45 वर्ष बाद महाराज के समक्ष खतवासियों को दिवाली मनाने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि विगत एक माह से इसके लिए तैयारियां की जा रही थी। दिवाली के जश्न के लिए मंदिर को भी विशेष रूप से सजाया गया। आगंतुकों के लिए भंडारे की विशेष व्यवस्था की गई थी। कहा कि क्षेत्रवासियों के लिए यह एक ऐतिहासिक पल है।

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