Friday , November 22 2024

मिलावटी मिठाइयां : कहीं रंग में भंग न कर दें : सुशील देव

त्योहार कोई भी हो, मीठा न हो तो सब फीका रह जाता है। मगर इस मीठे की जगह जहर हो तो कल्पना कीजिए, क्या होगा? सब रंग-भंग हो जाएगा। इस दीपावली में कहीं ऐसा न हो कि आप जिन्हें उपहार में मिठाई दे रहे हैं, उनमें कुछ जहर जैसा तो नहीं?
जरा सोचिए, आखिर हम उनका मुंह मीठा करा रहे हैं, या फीका। जी हां, हम अपने शहर की मिठाइयों की ही बात कर रहे हैं। दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश भर से ऐसी मिठाइयों की शिकायतें मिलती रहती हैं। इसलिए यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि त्यौहारों में नकली मिठाइयों की यहां भरमार है। हमें इनसे हमेशा सतर्कता बरतनी चाहिए। हम इन मिठाइयों से कैसे बचें, इनकी शुद्धता कैसे सुनिश्चित हो, इस पर सजगता दिखाने की जरूरत है।
नकली खोवा-मावे की मिठाई की बात आपने खूब सुनी होगी। प्रशासन ने भी मिलावटी मिठाइयों की खूब धर-पकड़ की है। कई मामले दर्ज हुए। कोर्ट में सुनवाई हुई। लगातार कुछ सजा भी हुई हैं, लेकिन ऐसी कोई सजा अब तक नजीर नहीं बन सकी जो मिलावटखोरों के दिलों में खौफ पैदा कर सके। खेदजनक है कि हम लोग ऐसे मिलावटों के प्रति बिल्कुल बेखबर हैं, उदासीन हैं। मूकदशर्क बनकर हम इनके शिकार बनते जा रहे हैं। सनद रहे कि नकली या मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने पर सख्त सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर आरोपी को 6 माह से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है। पीएफए अधिनियम की धारा 7/16 के मुताबिक मिलावट करने पर अधिकतम 3 साल की सजा होती है। धारा 57 के तहत तो 10 लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।
दिल्ली-एनसीआर में रोजाना आने वाली हजारों टन खोवे और मेवे की खेप से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इसके लिए आखिर, दूध की उपलब्धता कैसे संभव हो पाती है? होली, दशहरा, दीपावली और छठ के समय दिल्ली-एनसीआर की गली-गली में दूध से तैयार मिठाइयां बिकती हैं। खरीददार इन्हें शौक से खरीद कर त्यौहार सेलिब्रेट करते हैं परंतु उन्हें नहीं पता होता कि सेलिब्रेशन के मीठेपन में कौन सा हानिकारक तत्व उनके जीवन को धीरे-धीरे नष्ट कर रहा है। हार्ट, शुगर या बीपी वाले मरीजों के लिए तो यह बहुत ही खतरनाक है। साधारण समझ की बात यह है कि इस समय दिल्ली की आबादी करीब 3 करोड़ है, जिसमें करीब एक करोड़ से अधिक आबादी परिवार के साथ अपने मकान में रहती है। हर परिवार को रोजाना एक से डेढ़ लीटर दूध की जरूरत होती है। चाय की दुकान, मिठाई की दुकान, शादी-विवाह या अन्य समारोहों के लिए भी किसी न किसी रूप में दूध की जरूरत होती है।
आखिर, इतना दूध कहां से आता है? दूध की खपत तब और बढ़ जाती है, जब त्योहारों का सीजन आता है। जरा सोचिए, दूध की आपूर्ति इसके बावजूद कम नहीं होती। निश्चित रूप से दिल्ली एनसीआर में दूध का काला कारोबार चलता है। दिल्ली से सटे सीमावर्ती राज्यों के कुछ इलाकों से नकली खोवा और मावा बनने का कई बार भंडाफोड़ हो चुका है। कई लोग पकड़े जा चुके हैं, और अदालतों में इस गंभीर अपराध के लिए दोषियों को दंड भी मिला है लेकिन मिलावटखोरी से समाज को निजात मिलना आज भी चुनौती है। कई बार ऐसी फैक्ट्री या सरगना का पर्दाफाश भी हुआ है, मगर मिलावटी या नकली दूध के साम्राज्य पर कोई असर नहीं पड़ा। दूध समाज के हर वर्ग की जरूरत है लेकिन मिलावटखोर हमें कृत्रिम दूध पिलाकर तरह-तरह की बीमारियों के घेरे में ला देता है।
यूरिया, डिटज्रेट, शैंपू, चीनी और सोडियम वाई कार्बोनेट के प्रयोग से जहां दूध जहरीला बनता है वहीं डेयरी मालिकों द्वारा पशुओं को प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगाकर निकाला गया दूध हमें बीमार करता चला जाता है। पशुओं के साथ इस तरह का व्यवहार जुल्म है। सरकार और प्रशासन को इस कृत्य की जड़ में जाना चाहिए। सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए लेकिन सरकार या प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण त्यौहारों में मिलावटी मिठाइयां धड़ल्ले से बिकती हैं। विभागीय अधिकारी जांच के नाम खानापूर्ति करते नजर आते हैं।
कई बार मिलावटी मिठाइयों की बात करना भी फिजूल लगता है क्योंकि उपभोक्ता, सरकार और प्रशासन को फिक्र ही नहीं है, या कहें कि इस अपराध के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई देती। सरकार की ओर से इस गोरखधंधे पर सख्त कारवाई नहीं होती। मामला लंबा खिंचता है। कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा रहता है। आरपार के फैसले जल्द नहीं हो पाते। इससे भी अपराधियों का मनोबल बढ़ता चला जाता है। इसमें संलिप्त व्यक्तियों को कानून का खौफ नहीं है। एक मामले में तो मिलावटी दूध के आरोपी को 42 वर्ष पुराने मामले में तब सजा हुई, जब वह खुद 90 साल का वयोवृद्ध हो गया। उसी प्रकार मुजफ्फरनगर की अदालत ने 32 साल बाद मिलावट करने वाले एक शख्स को 6 महीने की सजा दिलाई।

About admin

Check Also

चमोली में 6 सौ काश्तकार मत्स्य पालन कर मजबूत कर रहे अपनी आजीविका

चमोली(आरएनएस)। जिले में 6 सौ से अधिक काश्तकार मत्स्य पालन के जरिये अपनी आजीविका को …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *