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नोएडा : 50 आलीशान फार्म हाउसों पर चले बुलडोजर

 नोएडा। एनसीआर में अवैध कॉलोनियों पर जारी बुलडोजर एक्शन के बाद अब आलीशान फार्म हाउसों पर भी बुलडोजर चलने लगे हैं। नोएडा प्राधिकरण ने करीब सात महीने बाद एक बार फिर यमुना किनारे डूब क्षेत्र में बने अवैध फार्म हाउस के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। सोमवार को सेक्टर-151 स्थित कोंडली गांव के पास बने करीब 50 फार्म हाउस ध्वस्त कर दिए गए। प्राधिकरण की इस कार्रवाई के दौरान लोगों ने जमकर विरोध किया।
फार्म हाउस तोड़ने के लिए नोएडा प्राधिकरण की टीम सोमवार सुबह करीब 9:00 बजे ही मौके पर पहुंच गई थी। करीब छह घंटे तक प्राधिकरण की कार्रवाई में फार्म हाउस ध्वस्त किए गए। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि यहां सभी फार्म हाउस अवैध रूप से बने थे। बार-बार निर्देश के बाद भी इन लोगों ने कब्जा नहीं छोड़ा। ऐसे में सोमवार को कार्रवाई की गई। फार्म हाउस में व्यावसायिक गतिविधि चल रही थीं। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि कुछ लोग कार्रवाई को लेकर कोर्ट गए हुए हैं। उनसे संबंधित फार्म हाउस पर कार्रवाई नहीं की गई है।
नोएडा में यमुना सेक्टर-94, 124, 125, 127, 128, 131, 133, 134, 135, 168 के अलावा 150 से होकर निकलती है। इसी तरह हिंडन नदी छिजारसी से प्रवेश करते हुए सेक्टर-63ए, बेहलोलपुर, शहदरा, सुथियाना, गढ़ी चौखंड़ी, सेक्टर-123, 118, 115, 143, 143ए, 148, 150, मोमनाथल के पास यमुना में मिलती है। यह दोनों ही नदियां नोएडा को चारों तरफ से घेरे हुए हैं और नदियों के किनारे की जमीन को ही डूब क्षेत्र कहते हैं, जहां पर कागजों में खरीद-फरोख्त प्रतिबंध है, लेकिन मौके पर फार्म हाउस बन व कॉलोनिया काटी जा रही हैं।
गेट तोड़कर लौटने का आरोप : प्राधिकरण की इस कार्रवाई पर सवाल भी उठ रहे हैं। अधिकांश फार्म हाउस को पूरी तरह ध्वस्त किए बिना ही छोड़ दिया। उनकी सिर्फ चारदीवारी या गेट तोड़कर प्राधिकरण की टीम लौट आई।
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
यमुना के डूब एरिया में करीब पांच हजार फार्म हाउस बने हुए हैं, लेकिन बीते सालों में मुश्किल से 125 से 150 फार्म हाउसों पर ही कार्रवाई हो सकी है। ऐसे में लोगों का कहना है कि नोएडा प्राधिकरण कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करता है।
जुलाई में बाढ़ के दौरान डूब गए थे
इसी साल जुलाई में यमुना में आई बाढ़ का पानी यमुना पुश्ते तक आ गया था। यहां बने पांच हजार फार्म हाउस जलमग्न हो गए थे। इनकी देखभाल के लिए इनमें रह रहे लोगों अपना सामान लेकर पुश्ते पर आ गए थे। बाढ़ का असर खत्म होते ही फार्म हाउस फिर गुलजार हो गए।

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