(आरएनएस)
कनाडाई मीडिया के मुताबिक इंडियन साइबर फोर्स नाम के गुट ने साइबर हमले किए। अगर सचमुच ऐसा कोई समूह है और वह सचमुच भारतीयों ने बनाया हुआ है, तो उसे यह समझना चाहिए कि ऐसी गतिविधियां भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को स्थायी नुकसान पहुंचा देंगी।
कनाडा ने भारत पर गंभीर आरोप लगाया। भारत सरकार ने उसका उतना ही करारा जवाब दिया। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि भारत सरकार बारीक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इस विवाद को शांत करने में सफल रहेगी। आखिर कोई देश बाकी पूरी दुनिया को ठेंगा दिखाते हुए आगे नहीं बढ़ सकता। और जब गुजरे वर्षों में भारत सरकार ने पश्चिमी देशों के साथ अपने रिश्तों को खास प्राथमिकता दी हुई है, तब उन देशों को एक मुद्दे पर नाराज करना सही रास्ता नहीं हो सकता। खासकर उस समय तक तो बिल्कुल नहीं, जब भारत का दुनिया की दूसरी महाशक्ति चीन के साथ पहले से ही मोर्चा खुला हुआ है। इसलिए भारत के जो लोग देश भक्ति का अतिशय प्रदर्शन कनाडा के मामले में कर रहे हैं, उन्हें थोड़ा संयम बरतना चाहिए। उन्हें कम-से-कम अपनी सरकार की कूटनीतिक क्षमता पर भरोसा रखना चाहिए।
यह सलाह जितना मीडिया में उग्रवादी बातें कर रहे कथित विशेषज्ञों पर लागू होती है, उतना ही उन उत्साही लोगों पर जिन पर कनाडा की संसद, सेना मुख्यालय और अन्य सरकारी दफ्तरों पर साइबर हमला करने का आरोप लगा है। कनाडा सरकार ने अपने मीडिया को बताया कि इंडियन साइबर फोर्स नाम के एक गुट ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। अगर सचमुच ऐसा कोई समूह है और वह सचमुच भारतीयों ने बनाया हुआ है, तो उसे यह समझना चाहिए कि ऐसी गतिविधियां भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को स्थायी नुकसान पहुंचा देंगी। क्या देश में कोई भी ऐसा है, जो भारत की साइबर अपराधियों के अड्डे के रूप में छवि बनाना चाहता हो? भारत में टीवी चैनलों पर कही गई उग्रवादी बातों को दुनिया भर में सोशल मीडिया पर जिस तरह शेयर किया गया है, उससे पहले ही देश की छवि पर धब्बा लगा है। यह समझने की बात है कि इस तरह की बातों और साइबर हमले जैसे आरोप लगने से भारत की कूटनीति चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। भारत का भला कनाडा के आरोप को झूठा साबित करने में है, ना कि ऐसा माहौल बनाने में जिससे दुनिया को उसके आरोप अधिक विश्वसनीय लगने लगें।