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नई दिल्ली। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और लखनऊ और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में मंगलवार को 4.6 और 6.2 तीव्रता के दो झटके आए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) ने कहा कि इस क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधि असामान्य नहीं है। लगभग हर 3-4 महीने में ऐसा होता रहता है। हालांकि, भूकंप का केंद्र नेपाल में था जिसकी वजह शक्तिशाली भूकंप के झटके दिल्ली समते उत्तर भारत में उतने नहीं महसूस हुए। दिल्ली क्षेत्र के लिए, 4-4.5 तीव्रता के भूकंप बहुत आम हैं। पिछले 100 वर्षों में दिल्ली में लगभग 25-30 ऐसे भूकंप आ चुके हैं, जिनमें कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। भूकंप जोन 4 में स्थित होने की वजह से देश की राजधानी और उत्तर भारत में बार-बार भूकंप आते हैं।
इस साल मार्च में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में 6.5 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया था। भूकंप का केंद्र पाकिस्तान और ताजिकिस्तान की सीमा से सटे अफगानिस्तान के पहाड़ी हिंदूकुश क्षेत्र में 40 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में स्थित था।
नेपाल में पिछले साल 9, 10 और 12 नवंबर को तीन भूकंप आए, जिससे दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में झटके आए। अप्रैल 2015 में भारत-नेपाल सीमा पर 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था। सत्रह दिन बाद, इस क्षेत्र में 12 मई को 7.3 तीव्रता का एक और भूकंप आया और इसके झटके भारत के कुछ हिस्सों में महसूस किए गए।
क्या है भूकंप जोन IV
देश के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों की पहचान अतीत में आए भूकंपों और क्षेत्र की विवर्तनिक संरचना से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर की गई है। इन सूचनाओं के आधार पर, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा है। जोन V, IV, III और II। जोन V में उच्चतम स्तर की भूकंप आने की उम्मीद रहती है, जबकि जोन II सबसे कम स्तर की भूकंप आने की उम्मीद होती है।
भूकंप जोन IV गंभीर तीव्रता वाला क्षेत्र है। लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के शेष भाग; हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, बिहार और पश्चिम बंगाल के छोटे हिस्से, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र के छोटे हिस्से और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता है।