(आरएनएस)
गाजियाबाद। हिंडन वायुसेना स्टेशन पर सोमवार को दो दिवसीय भारत ड्रोन शक्ति-2023 प्रदर्शनी शुरू हुई। इसमें लोगों ने मेक इन इंडिया ड्रोन की ताकत देखी। प्रदर्शनी को देखने के लिए कई अन्य देशों के सैन्य अधिकारी भी हिंडन वायुसेना स्टेशन पहुंचे। इस अवसर पर अत्याधुनिक तकनीक से लैस ड्रोन का हवाई प्रदर्शन भी किया गया।
प्रदर्शनी का आयोजन भारतीय वायुसेना और ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया मिलकर कर रही है। भारत ड्रोन शक्ति शो की शुरुआत में एयरबेस पर प्रतीकात्मक तौर पर दो संदिग्ध आतंकी दिखाई दिए। पहले एक ड्रोन ने उनकी तस्वीर कैप्चर की, जबकि तुरंत वहां पहुंचे दूसरे ड्रोन ने स्वचालित हथियारों से फायरिंग करते हुए उन्हें खदेड़ दिया। इसके साथ ही किसी ड्रोन ने आतंकियों के डमी ठिकानों पर बम गिराकर उसे नेस्तनाबूद किया। इसके अलावा पांच किलो सामान लेकर 120 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ने वाले ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। शो में 50 तरह के ड्रोन का प्रदर्शन हुआ। इनमें सर्वेक्षण ड्रोन, कृषि ड्रोन, आग दमन ड्रोन, सामरिक निगरानी ड्रोन, हेवी लिफ्ट लाजिस्टिक्स ड्रोन, लोटरिंग मूनिशन, ड्रोन समूह और काउंटर-ड्रोन शामिल हुए। रक्षा मंत्री समेत तमाम अधिकारियों ने प्रदर्शनी में लगे स्टॉल पर जामकर विभिन्न कंपनियों के ड्रोन की जानकारी ली।
इन विभागों ने की भागीदारी
भारत ड्रोन शक्ति-2023 प्रदर्शनी में 75 से ज्यादा स्टार्टअप और कॉर्पोरेट ने भागीदारी की। इसमें केंद्र सरकार, राज्य विभागों, सार्वजनिक-निजी उद्योग, सशस्त्र बलों, अर्ध सैनिक बलों और विदेशी कंपनियों से जुड़े कई हजार प्रतिनिधि शामिल हुए।
पांच ड्रोन और उनकी खासियत
1. पार्था
इस ड्रोन के अदानी डिफेंस एंव एरोस्पेश कंपनी ने बनाया है। यह बहुमंजिला भवनों में गैस की जाने वाली पाइप लाइन में लीकेज की जांच करता है। कंपनी के महाप्रबंधक स्पनिल के मुताबिक इसमें ऐसे सेंसर लगाए हैं जो लीकेज गैस मिलेते की सिंग्नल देते हैं। साथ ही यदि किसी बड़े क्षेत्र में गैस की पाइप लाइन जा रही है तो वहां भी इसका प्रयोग करके सुरक्षा की जांच की जा सकती है।
2. वीएएसपी-
इस ड्रोन को भारतीय वायुसेना की ओर से बनाया गया है। इसका काम सर्विलांस का है। स्क्वाड्रन लीडर महेश कुामर पुंडीर ने बताया कि भारतीय वायुसेना अपने स्तर से अपनी जरुरत के अनुसार कुछ ड्रोन बनाए हैं। इनसभी का नाम वीएएसपी उनका नाम रखा गया है। इनकी खासियत है कि यह दुर्गम क्षेत्रों में दुशमनों की ट्रेकिंग कर सकता है। इसके साथ ही विस्फोटक सामग्री लेकर निशाने पर जामकर हिट करने में सक्षम है।
3. एग्रीगेटोर-ई-10
चैन्नाई स्थित दक्ष अनमेंनड सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने इस ड्रोन के बनाया है। यह 10 लीटर तक दवा लेकर 50 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है। एक बैटरी के जरिए 10 लीटर दवा किसी भी दो एकड़ के खेल में पांच मिनट में छिड़काव करने में सक्षम है। कंपनी के उपाध्यक्ष रवि कुमार ने बताया कि कई सरकारी एग्रो कंपनी उनके इन ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं।
4. डीसीएम त्रिशूल
इस ड्रोन का निर्माण डीएमएम श्रीराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने किया है। यह ड्रोन सर्विलांस और मैपिंग का कार्य कर सकता है। उनका ड्रोन 10 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। 500 मीटर तक की ऊंचाई तक 60 मिनट तक यह एक साथ उड़ने में सक्षम हैं। कंपनी के मैनेज विवेक पोल ने बताया कि उनका यह ड्रोन में उच्च क्षमता वाला कैमरा लगा है।
5. टेलहैर्ड
इसका निर्माण भारत इलेक्ट्रानिक्स कंपनी ने किया है। इस ड्रोन के जरिए किसी दूसरे ड्रोन को खोजने, किसी भी रडार की तरंगों को समाप्त करने, क्षेत्र में नेटवर्क को जाम करने के काम इस्तेमाल होता है। कंपनी ने तीन साल पहले ड्रोन बनाने का काम शुरू किया। यह केवल सेना के कार्यों के लिए उपयुक्त हैं। आने वाले समय में कंपनी सेना के लिए लॉजेस्टिक ड्रोन का भी काम करेगी।
भारत वर्ष 2030 तक ड्रोन हब बनेगा : राजनाथ सिंह
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स व फेसबुक पर सी-295 मालवाहक विमान और भारत ड्रोन शक्ति 2023 के उद्घाटन की कुछ तस्वीरें साझा कीं। साथ ही लिखा कि भारत ड्रोन सेक्टर में तेजी से उभर रहा है। वर्ष 2030 तक भारत ड्रोन शक्ति का हब बन जाएगा। राजनाथ सिंह ने लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने ड्रोन उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू की है। हवाई क्षेत्र का विस्तार जैसी उदार नितियों से ड्रोन विनिर्माण क्षेत्र के विकास में मदद मिल रही है। रक्षामंत्री ने लिखा कि सी-295 विमान भारतीय वायुसेना में एचएस-748 एवरो विमान की जगह लेगा। सी-295 के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की सामरिक क्षमता में वृद्धि होगी।
40 सी-295 विमान भारत में बनेंगे
विमान निर्माता कंपनी एयरबस ने इसी माह सी-295 परिवहन विमान वायु सेना को सौंपा था। स्पेन के सेविले शहर में वीआर चौधरी को कंपनी के उत्पादन संयंत्र में यह विमान सौंपा गया था। दूसरा विमान मई 2024 तक वायु सेना को सौंपा जाएगा। इसके बाद हर महीने वायुसेना को एक विमान सौंपा जाएगा। इस प्रकार अगस्त 2025 तक सभी 16 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे। शेष 40 विमानों का निर्माण भारत में होना है। बड़ौदा स्थित टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड (टीएएसएल) में इन्हें तैयार किया जाएगा। इसने कल पुर्जे बनाने का कार्य हैदराबाद के एक केंद्र में शुरू हो गया है जिन्हें बाद में बडौदा लाया जाएगा। नवंबर 2024 से विमानों का निर्माण शुरू होगा। पहला मेक इन इंडिया विमान सितंबर 2026 में वायुसेना को मिलेगा जबकि अगस्त 2031 तक सभी 40 विमानों की आपूर्ति की जाएगी। बता दें कि वायुसेना ने पुराने पड़े चुके एवरो-748 विमानों को बदलने के लिए एयरबस से आधुनिक विमानों की खरीद की है।
क्यों है खास