नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध रूप से काटे गए छह हजार पेड़ों के मामले में सुनवाई की। खंडपीठ ने सुनवाई के बाद मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही खंडपीठ ने राज्य की अन्य जांच एजेंसियों को जांच में सीबीआई का सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। मामले के अनुसार कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण व छह हजार पेड़ों के कटान के खिलाफ देहरादून निवासी अनु पंत ने दिसंबर 2021 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसके अलावा हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान भी लिया। याचिकाकर्ता ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इस मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन जांच में छह हजार पेड़ों के कटान की पुष्टि होने के बावजूद मुख्य सचिव ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। जनवरी 2022 में जांच रिपोर्ट आने व कोर्ट की सख्ती के बाद डीएफओ कालागढ़ किशनचंद के खिलाफ कार्रवाई की गई। जबकि जांच रिपोर्ट में कई आईएफएस अधिकारियों की शह पर अवैध निर्माण की भी पुष्टि हुई थी। पूर्व में मुख्य सचिव ने भी अपने शपथपत्र में कहा था कि वह समय-समय पर उच्च न्यायालय को कार्रवाई के बारे में अवगत कराते रहेंगे, लेकिन विगत एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी उनके द्वारा किसी भी तथ्य के बारे में न्यायालय को अवगत नहीं कराया गया। पूर्व में विभागाध्यक्ष द्वारा गठित जोशी कमेटी ने पेड़ कटान व अवैध निर्माण के मामले में कई अफसरों को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन वन विभाग के इन शीर्ष अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं।
वन मंत्री, वन सचिव और सात आईएफएस अफसर घेरे में
कॉर्बेट पार्क में छह हजार पेड़ों के कटान के मामले में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसके अलावा तत्कालीन प्रमुख सचिव वन, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, कॉर्बेट डायरेक्टर सहित छह सीनियर आईएफएस अधिकारियों की भी भूमिका पर सरकारी जांच रिपोर्ट में सवाल उठे हैं। ऐसे में मामले की सीबीआई जांच के आदेश होने से इस प्रकरण में भविष्य में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।