ऋषिकेश। ऋषिनगरी में गंगा तट पर श्रावणी उपाकर्म कार्यक्रम हुआ। इस दौरान गंगा स्नान, उपाकर्म और गंगा पूजन किया गया। लोगों को इस पावन पर्व की महिमा के बारे में बताया गया। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि यह पर्व हमारी आत्मशुद्धि एवं संस्कार शुद्धि का पर्व है। गुरुवार को ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने ऋषिकेश त्रिवेणी घाट में बटुक ब्रह्मचारियों के साथ श्रावणी उपाकर्म का कार्यक्रम वैदिक परम्परानुसार सम्पन्न किया। इसमें षट्कर्म, तीर्थ आह्वान, हेमाद्रि संकल्प, दस स्नान आदि के बाद जयराम अन्नक्षेत्र ट्रस्ट परिसर में विधिवत् ऋषिपूजन किया गया। ब्रह्मचारी ने बटुक ब्रह्मचारियों एवं उपस्थित लोगों को इस पावन पर्व की महिमा के बारे में बताया। कहा कि यह पावन परम्परा वैदिक काल से चली आ रही है। इसे वैदिक परम्परा के संरक्षण एवं संवर्धन का पर्व भी कहा जाता है। उधर, परमार्थ निकेतन के आचार्यों और ऋषिकुमारों ने गंगा स्नान, उपाकर्म और गंगा पूजन कर इस महापर्व को मनाया। परमार्थ निकेतन के व्यवस्थापक रामअनन्त तिवारी ने कहा कि सनातन परंपरा के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रावण उपाकर्म मनाया जाता है। यज्ञोपवीत के धागे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं। यज्ञोपवीत माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी, परिवार के प्रति जिम्मेदारी, समाज के प्रति जिम्मेदारी, गुरु के प्रति जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। उपाकर्म पूजन संस्कार में आचार्य संदीप शास्त्री, आचार्य दीपक शर्मा और गुरुकुल के सभी ऋषिकुमारों ने सहभाग कर स्नान, ध्यान, पूजन व गंगा का अभिषेक किया।
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