नई दिल्ली। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ, असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जवानों और अफसरों द्वारा बड़ी संख्या में नौकरी छोड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसी क्या मजबूरी है कि पिछले पांच वर्ष में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 47000 जवानों/अधिकारियों ने नौकरी छोड़ दी। इन सभी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इतना ही नहीं 6336 जवान/अफसर ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। साल 2018 से लेकर 2022 तक 658 जवानों ने आत्महत्या कर ली है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वालों में बीएसएफ के कार्मिक पहले नंबर पर हैं, जबकि सीआरपीएफ का नंबर दूसरा है।
कार्यबल की रिपोर्ट तैयार हो रही है
गत पांच वर्ष में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 658 जवानों ने आत्महत्या कर ली। अगर किसी प्राकृतिक आपदा या दुश्मन के हमले में जवान हताहत हों, तो समझ आता है। यहां तो वे आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या करने वालों में सीआरपीएफ के 230, बीएसएफ के 174, सीआईएसएफ के 91, एसएसबी के 65, आईटीबीपी के 51, असम राइफल के 47 और एनएसजी के करीब आधा दर्जन जवान शामिल हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के मुताबिक, इन बलों में आत्महत्याओं और भ्रातृहत्याओं को रोकने के लिए जोखिम के प्रासंगिक घटकों एवं प्रासंगिक जोखिम समूहों की पहचान करने तथा उपचारात्मक उपायों से संबंधित सुझाव देने के लिए एक कार्यबल का गठन किया गया है। कार्यबल की रिपोर्ट तैयार हो रही है। सीएपीएफ में तबादले और छुट्टी को लेकर पारदर्शी नीतियां बनाई जा रही हैं।