आइसक्रीम खाने का एक अपना अलग ही मजा है. यह दिलों दिमाग को ठंडा रखने का सबसे बेहतरीन तरीका है. लेकिन कुछ लोगों के लिए आइसक्रीम परेशानी की वजह बन जाता है दरअसल आइसक्रीम खाने के बाद कुछ लोगों को सिर में बहुत तेज दर्द महसूस होने लगता है. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो जान लीजिए कि इसके पीछे की वजह क्या है.
आइसक्रीम खाने के बाद सिर में दर्द क्यों होता है?
रिपोर्ट के मुताबिक जब आप बहुत ज्यादा ठंडी चीज का सेवन कर लेते हैं तो इसकी तासीर के कारण नर्व में एक दर्द पैदा होता है जिसके कारण इंसान के दिमाग तक सनसनी का एहसास होता है. इसे ब्रेन फ्रीज के नाम से जानते हैं. आइसक्रीम से होने वाला सिरदर्द आमतौर पर अचानक और बहुत तेज महसूस होता है. जो कुछ सेकंड से 1 मिनट तक रह सकता है.आपको माथे या कनपटी में तेज चुभन वाला दर्द महसूस करा सकता है.हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के मुताबिक ठंड उत्तेजक दर्द काफी आम है. क्योंकि यह 30 से 40 फ़ीसदी लोगों में होता है. यह लक्षण हनीरहित माने जाते हैं और इससे किसी भी बीमारी का खतरा नहीं होता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ब्रेन फ्रीज को लेकर हुई रिसर्च कहती है कि ऐसा तब होता है जब ब्रेन के सेरेब्रल आर्टरी में अचानक से ब्लड का फ्लो बढ़ता है और कुछ समय बाद जैसे-जैसे धमनियां वापस अपने पुराने स्थिति में वापस आने लगती है वैसे वैसे दर्द ठीक हो जाता है. जिन लोगों में यह समस्या देखी गई है उसे गर्म पानी पिलाया जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक ब्रेन फ्रीज होने पर गर्म पानी से गरारे किए जाते हैं. मुंह में हर हिस्से तक गर्म पानी पहुंचने के बाद शरीर में गर्म हवा का सरकुलेशन बढ़ता है. इससे ब्रेन फ्रीज होने से राहत मिलती है.एक्सपोर्ट का मानना है कि जो लोग पहले से माइग्रेन से जूझ रहे हैं, वह अगर ठंडी चीज का सेवन करते हैं तो ब्रेन फ्रीज होने का खतरा और भी ज्यादा रहता है. अगर आप इस समस्या से बचना चाहते हैं तो ठंडी चीजों के सेवन से बचें.
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बच्चों को चाय पिलाने की गलती कभी न करें, वरना छोटी उम्र में ही लग जाएंगी कई बीमारियां
भारत में अधिकतर लोग अपने दिन की शुरुआत चाय पीकर करते हैं. चाय के बिना सुबह की कल्पना कर पाना भी उनके लिए मुश्किल होता है. कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्हें सुबह उठते ही बेड पर चाय चाहिए होती है. बड़े तो बड़े आजकल छोटे-छोटे बच्चों को भी चाय पीने की आदत लग गई है. उन्हें भी वयस्कों की तरह दो से तीन टाइम चाय चाहिए होती है. कई बार तो माएं भी अपने बच्चों को चाय बिस्किट खिलाती हैं, ताकि उनका पेट भर जाए. हालांकि वह इस बात से अनजान है कि छोटी उम्र में बच्चों को चाय पीलाना कितनी खतरनाक साबित हो सकता है.
अगर आपका बच्चा भी चाय पीने की जिद करता है और आप उसकी यह जिद पूरी कर देते हैं तो यह जान लीजिए कि आप अपने बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. दरअसल चाय हो या कॉफी, इन हॉट ड्रिंक्स में ज्यादा मात्रा में कैफीन और शुगर पाया जाता है. कैफीन और शुगर ये दोनों ही चीजें स्वास्थ्य पर बुरा असर डालने का काम करती हैं. इसका असर न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा, बल्कि बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह से प्रभावित होगा.
12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं पिलानी चाहिए चाय
डाक्टर्स का मानना है कि कैफीन वाली मीठी चीजों का सेवन करने से बच्चों के दांतों में सडऩ की समस्या पैदा हो सकती है अर्थात कैविटी हो सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं, इनका ज्यादा सेवन करने से ज्यादा बार-बार पेशाब जाने की दिक्कत हो सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र वाले बच्चों को कैफीन वाली चीजों का सेवन नहीं करने दिया जाना चाहिए. उन्हें न तो चाय दी जानी चाहिए और ना ही कॉफी.
कैफीन का बच्चों पर पड़ता है बुरा प्रभाव
जबकि 12-18 एजग्रुप के लोगों को रोजाना 100 मिलीग्राम से ज्यादा कैफीन नहीं लेना चाहिए. अगर आपने बच्चों को ज्यादा मात्रा में चाय या कॉफी देना जारी रखा तो उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं घेर सकती हैं. उनकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. नींद की कमी हो सकती है. चिड़चिड़ापन, डायबिटीज, डिहाइड्रेशन और कैविटी की प्रॉब्लम हो सकती है.