Thursday , November 21 2024

चमोली : एक बार फिर डर और चिंता में डूबे जोशीमठ के लोग

 

चमोली। इस साल जनवरी में सबसे पहले भूधंसाव से प्रभावित हुए जोशीमठ के लोग एकबार फिर चिंता में डूब गए हैं। जोशीमठ के सुनील वार्ड में जमीन में एक बड़ा गड्ढा बन गया। जैसे ही यह जानकारी सामने आई लोगों की चिंता बढ़ गई। गड्ढा होने की सूचना मिलने पर स्थानीय प्रशासन की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। जोशीमठ के तहसीलदार रवि शाह ने बताया कि टीम के पहुंचने से पहले ही आपदा प्रभावित लोगों ने गड्ढे वाली जगह को मिट्टी से भर दिया था। इस घटना से आपदा प्रभावित बारिश के सीजन में मकानों की दरारें और बढ़ने को लेकर भी डरे हुए हैं।  तहसीलदार रवि शाह ने बताया कि मौके का निरीक्षण करने वाली टीम में अभियंता भी शामिल हैं जो इसकी निगरानी कर रहे हैं। जोशीमठ वासियों के हितों के लिए संघर्ष कर रही जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के प्रवक्ता कमल रतूड़ी का कहना है कि उस इलाके में पहले से ही गड्ढे थे जो संभवतः अब और बड़े हो गए होंगे। उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी जुटायी जा रही है। सुनील वार्ड में तीन दिन पहले विनोद सकलानी के मकान के पास अचानक गड्ढा हो गया था। बताया जा रहा है कि गड्ढा काफी बड़ा था जिससे नगर वासियों की चिंता बढ़ गई। सुनील वार्ड वही इलाका है जहां मकानों में सबसे पहले दरारें आई थीं। इस क्षेत्र में गड्ढा होने से आपदा प्रभावित आशंकित हो गए कि कहीं यह सिलसिला फिर से ना शुरू हो जाए। हालांकि, अन्य क्षेत्रों से अभी इस तरह की सूचना नहीं है।  इस बीच, आपदा को छह माह बीतने के बाद भी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होने और मुख्यमंत्री द्वारा इस संबंध में दिए गए आश्वासन के पूरे ना होने पर ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ ने जोशीमठ तहसील में सोमवार को धरना दिया और जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। धरना स्थल पर आपदा प्रभावितों ने रिपोर्ट सार्वजनिक ना किए जाने पर आक्रोश जताया। लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार रिपोर्ट में आए तथ्यों को छिपाने का प्रयास कर रही है।

संघर्ष समिति के संरक्षक अतुल सती ने कहा कि हम लगातार वैज्ञानिकों द्वारा तैयार रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं ताकि लोगों को पता चल सके कि वे जहां रह रहे हैं वह जगह सुरक्षित है या नहीं। सरकार रिपोर्ट को क्यों छिपा रही है, यह बात समझ से परे है। इस वर्ष की शुरुआत में भूधंसाव से जोशीमठ में 868 भवनों में दरारें आई थीं जिनमें से 181 भवनों को रहने के लिए असुरक्षित घोषित किया गया था। असुरक्षित घोषित भवनों से अन्य स्थानों पर पहुंचाए गए करीब 60 परिवार आज भी शिविरों में ही रह रहे हैं।

About admin

Check Also

जिज्ञासा यूनिवर्सिटी में बहुविश्यक शोध को बढ़ावा देते सम्मेलन का समापन

शोध को प्रभावी बनाने हेतु बहुविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिज्ञासा विश्वविद्यालय …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *